घर-घर होगी कुष्ठ रोगियों की पहचान, लक्षणों और बचाव की दी जाएगी जानकारी

छपरा न्यूज़

•8 से 17 अक्टूबर तक कुष्ठ रोगी खोज अभियान चलाया जायेगा
•महिला व पुरुषों की शारीरिक जांच की जाएगी

Chhapra : राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में आगामी 8 से 17 अक्टूबर तक कुष्ठ रोगी खोज अभियान चलाया जायेगा। इस पूरे अभियान के तहत जिले के हर घर में महिला व पुरुषों की शारीरिक जांच की जाएगी। किसी भी प्रकार की शंका या शरीर पर अस्वाभाविक दाग नजर आने पर तत्काल उनकी जाँच करवाकर रोग होने य ना होने की पुष्टि की जाएगी। अभियान का उद्देश्य कुष्ठ रोग लक्षण युक्त मरीजों की खोज कर उनका इलाज कराना और जिले को कुष्ठ रोग से मुक्त कराना है। इसके लिए जिला और प्रखंड स्तर तक माइक्रो प्लान तैयार किया जा रहा है। सभी प्रखंडों से आयुष डॉक्टर्स, बीसीएम, स्वास्थ्य प्रबंधक और अन्य सम्बंधित स्वास्थ्य अधिकारीयों को प्रशिक्षण भी दिया गया है।

ताकि प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ये कर्मी बतौर प्रशिक्षक अपने-अपने प्रखंडों में में जाकर निर्धारित तिथि के अनुसार बारी-बारी से अभियान के लिए चयनित सभी आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दे सकें। जिसके बाद आशा कार्यकर्ता कुष्ठ रोगी खोजी अभियान के तहत घर-घर जाकर मरीजों की पहचान करेंगी और संबंधित मरीजों को इलाज कराने के लिए प्रेरित करेंगी। यही नहीं, इलाज के लिए स्वास्थ्य संस्थान जाने में आवश्यक और जरूरी सहयोग भी करेंगी।

घरो की होंगी मार्किंग:
डीपीएम अरविन्द कुमार ने बताया कि अभियान के द्वारा आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा घरों की मार्किंग की जाएगी. प्रत्येक दल में एक महिला तथा एक पुरुष स्वास्थ्य कर्मी को लगाया जायेगा. शहरी क्षेत्रों में आंगनबाड़ी सेविका के द्वारा मरीजों की खोज की जाएगी।

लक्षण की पहचान जरूरी:
सीएस डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कुष्ठ (लेप्रोसी) एक दीर्घ कालीन संक्रामक रोग है , जो किसी भी उम्र में हो सकता और ध्यान न देने पर अधिक क्षति य आंशिक या सम्पूर्ण विकलांगता का कारण भी बन सकता है। इसका मुख्य कारण माइकोबैक्टीरियम लेप्राई जीवाणु है। यह एक तरह का धीमी गति से बढ़ने वाला बैक्टीरिया है जो अन्य संक्रामक रोगों की तरह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बूंदों से फैल सकता है । इससे संक्रमित व्यक्ति के शरीर में रोग के लक्षण दिखने में लगभग 3 से 4 साल तक समय लग जाता है। इसलिए संक्रमित होने के तुरंत बाद पहचान कर उपचार करना मुश्किल है, लेकिन यह \रोग मुख्य रूप से त्वचा को क्षति पहुंचाती है।

-साथ ही इसमें-
•मांसपेशियों में कमजोरी आती है
•हाथ और पैर में झनझनाहट या सुन्न हो जाना ।
•शरीर पर किसी भी तरह का गांठ, घाव या दाग बनाकर त्वचा को विकृत करना
•शरीर के तंत्रिका तंत्र को भी नुकसान पहुंचाता है जिसमें संवेदी तंत्रिकाएं, आंखों की नसें भी शामिल हैं.

इसलिए इन लक्षणों में से एक भी लक्षण की पुष्टि होने पर तुरंत जाँच करायें ताकि रोग की पुष्टि जल्दी होने पर दवा शुरू कर शारीरिक और उससे हुई मानसिक क्षति को रोका जा सके।