DESK : पश्चिम बंगाल के सभी अखबारों में पहले पन्ने पर जिनकी सबसे ज्यादा चर्चा है वे हैं मो. मानिक। मानिक हैं तो मुस्लिम हैं, पर दुर्गा विसर्जन में डूबते बच्चों-महिलाओं की जन बचाने के लिए उन्होंने जाति और धर्म की परवाह तक नहीं की।जितना हो सका जान की बाजी लगा कर लोगों को बचाया।
मानवता धर्म नहीं देखती। आज बंगाल के सभी बांग्ला और अंग्रेजी अखबारों के पहले पन्ने पर मोहम्मद मानिक छाए हुए हैं। उन्होंने अचानक नदी में आए उफान के कारण डूबते हुए नौ लोगों की जान बचाई। अपनी जान को खतरे में डालकर तीन बच्चों और चार महिलाओं सहित कुल नौ लोगों की जान बचाई। उन्हें नदी की धार से खींचकर किनारे सुरक्षित पहुंचाया। हालांकि उन्हें अफसोस है कि वे आठ जान नहीं बचा सके।
मो. मानिक मुस्लिम हैं। वे हर साल दुर्गा प्रतिमा विसर्जन देखने के लिए माल नदी के किनारे आते रहे हैं। हर साल लोगों को नाचते-नारे लगाते देवी दुर्गा की प्रतिमा को नदी में प्रवाहित करते देखते रहे हैं। इस बार भी वे नदी किनारे पहुंचे थे। लोग उत्सव में मगन होकर विसर्जन के लिए नदी में उतरे थे, तभी नदी में अचानक पानी छोड़े जाने से उफान आ गया।
चारों तरफ चीख-पुकार मच गई। मो. मानिक ने पल भर भी गवाएं बिना नदी में छलांग लगा दी। अपनी जान को खतरे में डालकर घंटों डूबते लोगों को खींच-खींच कर किनारे पहुंचाते रहे। पेशे से वेल्डर मो. मानिक और पश्चिम तेसिमाला गांव के निवासी है, जो माल बाजार से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
पांचों वक्त नमाज पढ़ने वाले मो.माणिक हैं, लेकिन वे हर साल दुर्गा पूजा विसर्जन देखने आते रहे हैं। उन्होंने द टेलिग्राफ को बताया कि वे जब लोगों को नदी से निकाल रहे थे, तभी उन्हें महूसस हुआ कि उनके अंगूठे से खून बह रहा है। फिर सरकारी बचाव दल ने उन्हें एक रूमाल दिया, जिससे उन्होंने पैर के अंगूठे में खून बहने वाले स्थान पर बांध दिया और इसके बाद फिर लोगों की जान बचाने में लग गए।
उन्होंने जब बचाव शुरू किया, उसके एक घंटे बाद एनडीआरएफ की टीम आई। टीम ने भी अनेक लोगों को डूबने से बचाया। मो.मानिक के इस काम की चारों ओर काफी प्रशंसा हो रही है। कई संगठन उन्हें पुरस्कृत करने की योजना बना रहे हैं।