Biharsharif/ Avinash pandey : महामलमास मेले को अंतरराष्ट्रीय मेले का दर्जा मिल सके, इसे लेकर अनंत श्री विभूषित जगतगुरु विश्वकर्मा शंकराचार्य स्वामी दिलीप योगीराज एवं बिहार ने सरकार व जिला प्रशासन से मांग की है। मेला आगामी 18 जुलाई 2023 से शुरू होगा। यह मेला कुंभ एवं माघ मेला जैसा है। जैसे कुंभ 1 महीने का मेला लगता है वैसे ही राजगीर में भी मलमास मेला 1 महीने 5 दिन का होता है।
स्वामी योगीराज ने कहा कि राजगीर एक ऐतिहासिक व धार्मिक नगरी है। यह पंच पहाड़ियों के बीच में बसा हुआ है। इसकी धार्मिक महत्ता है कि 22 गर्म कुंडव 52 धाराएं है। मेले में कुंभी जैसा-शाही स्नान भी साधु, सन्तो का होता है। बावजूद कुंभ और माघ मेला प्रयाग राज जैसे सुविधा से वंचित है। उन्होनें कहा कि भारत और राज्य सरकार से मांग करते हैं कि देश में सभी एक महीने का धार्मिक मेले को बराबर सुविधा दिया जाए।
महामलमास में अभी 10 महीने शेष है। कुंभ और प्रयाग माघ मेले जैसा शिविर, पंडाल, शौचालय, बिजली व टेन्ट की सुविधा मुहैया कराई जाये ताकि वैदिक सनातन धर्म का परम्परा बरकरार रहे। मेले में साधु, सन्त अखाड़ों का भी शिविर की व्यवस्था हो । तमाम भारत एवं विश्व से भक्तगण गर्म कुण्ड में स्नान कर पूजा, पाठ, यज्ञ कर पूण्य ग्रहण करते हैं। वैदिक मान्यता है कि राजगीर मलमास मेले में 33 कोटि देवी देवताओं का वास होता है। धार्मिक महायज्ञ, अनुष्ठान, प्रवचन, कथा का ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक कार्य की व्यवस्था होनी चाहिए ।
अन्नपूर्णा भण्डारे भी दिन भर चलते रहते हैं, जहां गर्म 22 कुण्ड, पांच पर्वत और 5 नदियों का महासंगम है। यह भारत एवं बिहार का गौरव है। राजगीर में विश्व शान्ति स्तूप जापान के द्वारा स्थापित है। इसलिए सरकार को सभी बातों को ध्यान में रखते हुए महामलमास मेले को अंतराष्ट्रीय मेले का मान्यता दिया जाना चाहिए।
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