Adarsh : अब ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों का स्तन नहीं काटना पड़ेगा, बल्कि संक्रमित हिस्सा निकालकर इलाज किया जाएगा। ऐसा ओंको मेमो प्लास्टी तकनीक से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में संभव हो गया है। यहां 2 मरीजों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया है। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने बताया कि इस तकनीक से ऑपरेशन करने वाला GSVM प्रदेश का पहला मेडिकल कॉलेज हो गया है।
प्रिंसिपल डॉ. संजय काला ने प्लास्टिक सर्जन डॉ. प्रेम शंकर और रेजीडेंट डॉ. शुभम, डॉ. पुनीत के साथ मिलकर शुक्रवार को नौबस्ता निवासी 48 वर्षीय स्तन कैंसर की मरीज का ऑपरेशन किया। यह आपरेशन वाल्यूम डिस्प्लेसमेंट तकनीक से किया गया। मेडिकल कॉलेज में बने 1 रुपए के पर्चे पर इलाज किया गया।
डॉक्टरों की इसी टीम ने 13 अक्तूबर को कल्याणपुर निवासी 53 वर्षीय महिला का आपरेशन वाल्यूम डिस्प्लेसमेंट तकनीक से किया था। प्राचार्य ने बताया कि पहले कैंसर होने पर पूरा स्तन निकालना पड़ता था। इसके कटने से तमाम महिलाएं डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। कई महिलाएं आत्महत्या भी कर चुकी हैं।
वाल्यूम रिप्लेसमेंट तकनीक से ऑपरेशन
जिन महिलाओं के स्तन के 15 प्रतिशत तक सेल संक्रमित होते हैं, उनका आपरेशन वाल्यूम रिप्लेसमेंट तकनीक से और इससे ज्यादा संक्रमण होने पर वाल्यूम डिस्प्लेसमेंट तकनीक से किया जाता है। वाल्यूम डिस्प्लेसमेंट में शरीर में दूसरी जगह के मांस का टुकड़ा लगाना पड़ता है। निजी अस्पतालों में इस तकनीक से ऑपरेशन में 10 लाख रुपये तक खर्च होते हैं।