CENTRAL DESK : ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक ने भारतीय मूल की सुएला ब्रेवरमैन को फिर से गृह मंत्री बनाए जाने के फैसले का बचाव किया है. सुनक ने संसद में कहा कि उन्होंने (सुएला) माफी मांग ली है. बुधवार (26 अक्टूबर) को संसद में पीएम के रूप में ऋषि सुनक का पहला दिन रहा. इससे पहले ‘लिबरल डेमोक्रेट्स’ पार्टी ने भारतीय मूल की सुएला ब्रेवरमैन को फिर से देश की गृह मंत्री नियुक्त किए जाने की ‘कैबिनट ऑफिस’ से जांच कराए जाने की मांग की.
मीडिया की एक रिपोर्ट में बुधवार को यह जानकारी दी गई. ब्रेवरमैन (42) को मंत्री संबंधी संहिता का उल्लंघन करने के कारण लिज ट्रस के कार्यकाल में इस पद से इस्तीफा देना पड़ा था. ब्रेवरमैन के त्यागपत्र के बाद ही लिज ट्रस सरकार पर संकट पैदा हो गया था. ब्रेवरमैन भी सुनक की ही तरह यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर निकलने की समर्थक हैं. ‘बीबीसी’ ने गृह मामलों के लिए लिबरल डेमोक्रेट्स के प्रवक्ता एलिस्टेयर कारमाइकल के हवाले से कहा, “सुएला ब्रेवरमैन की नियुक्त नंबर 10 (डाउनिंग स्ट्रीट यानी प्रधानमंत्री कार्यालय का आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) में ईमानदारी लाने के ऋषि सुनक के दावों का मजाक उड़ाती है.”
कारमाइकल ने कहा, “उनकी (ब्रेवरमैन) नियुक्ति की ‘कैबिनेट ऑफिस’ को समग्र एवं स्वतंत्र जांच करनी चाहिए और यह भी पता लगाना चाहिए कि क्या सुनक ने उनसे बंद दरवाजे के पीछे कोई वादा किया है.” उन्होंने कहा कि अगर यह पुष्टि हो जाती है कि ब्रेवरमैन ने बार-बार मंत्री संहिता तोड़ी और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला, तो ब्रेवरमैन को बर्खास्त किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “नियम तोड़ने वाली गृह मंत्री नियमों के पालन के लिए जिम्मेदार गृह मंत्रालय की खातिर उपयुक्त नहीं हैं.”
सुनक ने ‘‘ईमानदारी’’ के साथ शासन करने का संकल्प लिया है और पार्टी की विभिन्न शाखाओं के नेताओं को अपनी शीर्ष टीम में शामिल करके कंजर्वेटिव पार्टी को एकजुट करने का प्रयास किया है, लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि विपक्षी लेबर पार्टी ने ब्रेवरमैन को गृह मंत्री के रूप में फिर से नियुक्त करने के फैसले की आलोचना की है.
ब्रेवरमैन के बयान पर हुआ था हंगामा
यह देखना अभी बाकी है कि आव्रजन पर ब्रेवरमैन के सख्त रुख से नये मंत्रिमंडल में इस मामले पर क्या स्थिति बनती है क्योंकि वीजा की समयावधि बीत जाने के बाद भी भारतीयों के ठहरने के बारे में उनके बयान से वर्तमान भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार संधि (एफटीए) वार्ता को बड़ा नुकसान पहुंचा है. ब्रेवरमैन के पिता गोवा मूल के और उनकी मां तमिल मूल की हैं. उन्होंने लंदन में मंत्रिस्तरीय संचार के लिए अपने निजी ई-मेल का इस्तेमाल करने की ‘‘गलती’’ के बाद पद से इस्तीफा दे दिया था.