DESK : बिहार समेत देश भर में कल से यानी कि 28 अक्टूबर से महान पर्व छठ पूजा की शुरुआत है. छठ का ये पर्व चार दिवसीय होगा. 28 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ शुरू होकर 31 अक्टूबर को सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद समाप्त होगा. छठ पूजा की तैयारी को लेकर लोग विशेष खरीदारी करते हैं. पूजन विधि में इस्तेमाल होने वाली खास सामग्री घर लेकर आते हैं. तो आइए यहां हम बताते हैं कि पूजा में क्या क्या चीजें इस्तेमाल होती हैं जिसके बिना छठ की पूजा अधूरी मानी जाती है.
छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाले बर्तन
छठ पूजा में पांच बर्तन लेने होते है. इसमें पीतल के बर्तन मिल जाएं तो अति उत्तम माना जाता. अगर नहीं मिल पाते तो नॉर्मल स्टील के बर्तन आप खरीद सकते हैं. इसमें भी पांच चीजें जिसमें कटोरा, चम्मच, थाली, ग्लास और लोटो होना महत्वपूर्ण है.
बांस की टोकरी और सूप
इसके अलावा बांस की टोकरी लेने होती है. इस टोकरी में सारा सामान रखकर घाट पर जाते हैं. आपके पास जो सामग्री है उसके हिसाब से इसे खरीद सकते हैं. इसके साथ सूप लेना होता है. ये सारी चीजें बेहद जरूरी है. अर्घ्य देने के वक्त इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है.
प्रसाद की सामग्री
छठ पूजा में चढ़ाने के लिए पानी वाला नारियल होना चाहिए. इसके अलावा भोग के लिए दूध, साफ सुथरे गेहूं, चावल और प्रसाद बनाने के लिए गेहूं का आटा और गुड़ चाहिए होती है. इससे ठेकुआ बनाया जाता जो कि भोग में छठी मैया को प्रसाद के रूप में चढ़ता है. इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. प्रसाद में चावल के लड्डू भी चढ़ते हैं. इसे पिसे हुए चावल और गुड़ से बनाया जाता है.
सुपारी, सिंदूर और पीथार
सुपारी के बिना पूजा अधूरी है. पांच से छह सुपारी की पूजा में जरूरत होती है. पूजा के लिए हल्दी और सिंदूर चाहिए. कच्चे चावल को पीसा जाता है जिसे पीथार कहते हैं. इसे हर सूप और पूजन सामग्री पर लगाया जाता है. ये भी छठ पूजा की पूजन सामग्री और विधि में जरूरी माना जाता है. इसके अलावा चंदन, कपूर और कलावा भी होते हैं.
घी के दीए
ध्यान रहे कि यहां दीए देसी घी के जलाने होते हैं. टोकरी और सूप में जो भी पूजा का प्रसाद रखते हैं. उसके ऊपर दीया जलाया जाता है. इसके साथ ही अगरबत्ती भी लगाई जाती है. दीयों का इस्तेमाल काफी मात्रा में होता है.
कच्ची हल्दी और अदरक के साथ सात प्रकार के फल जरूरी
पूजा के लिए कच्ची हल्दी और अदरक अनिवार्य है. इसका पौधा बाजार में आसानी से मिल जाता है. इसके साथ ही मीठा नींबू लिया जाता है. पंचमेवा प्रसाद में रहना जरूरी है. छठ में फल लेने का बहुत महत्व है. कम से कम सात प्रकार के फल लेने होते जिसमें सिंघाड़ा, शकरकंद और केला रहना अनिवार्य है. पूजा में खास कर हरे फल का विशेष महत्व होता है. इसलिए छठी मैया को हरा फल चढ़ाया जाता है.
मन्नत पूरी होने पर कोसी भरी जाती है
छठ पूजन में दो पान के पत्ते और पांच प्रकार के फूल लेने होते जिसमें नीले और काले रंग के फूल नहीं होने चाहिए. इसके अलावा छठ में यदि कोई मन्नत मांगता और उसकी मनोकामना पूरी होती तो छठ में वो कोसी भरते हैं. ये हाथी के आकार का होता है. इसमें ऊपर प्रसाद यानी कि ठेकुआ रखा जाता है और उसके ऊपर दीया रखते हैं. इसके अलावा चौमुखी दीया भी लिया जाता है.
सराही लेना भी जरूरी
छठ में प्रसाद चढ़ाने के लिए मिट्टी की सराही ली जाती है जिसकी मात्रा कम से कम 12 होनी चाहिए. इन सराही में प्रसाद रखा जाता है. खास कर कोसी भरने वाले लोगों के लिए ये बेहद जरूरी है. इसके अलावा कम से कम दो बड़ी सराही ली जाती है. इसमें छठी मैया को प्रसाद का भोग लगाते हैं. गंगाजल, चार से पांच गन्ना भी पूजन विधि के दौरान लिया जाता है.