Patna, BeforePrint : बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वनस्पति अनुसंधान इकाई, धनगाई,बिक्रमगंज का भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वित्त पोषित अखिल भारतीय समन्वित चावल सुधार परियोजना के अंतर्गत पूरे देश के विभिन्न प्रभेदो का परीक्षण विभिन्न प्रयोगों के माध्यम से किया जाता है. इसी कड़ी में प्रभेदों के परीक्षण तथा परियोजना के मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय स्तर की समिति द्वारा केंद्र का निरीक्षण किया गया.
जिसमें भारतीय चावल शोध संस्थान, राजेंद्र नगर, हैदराबाद, से डॉ पद्मावती-प्रधान वैज्ञानिक सह धान अभीजनक तथा राष्ट्रीय चावल शोध संस्थान, कटक से डॉ एनी पूनम- प्रधान वैज्ञानिक, शस्य विभाग एवं डॉ जवाहर लाल कटारा-वरीय वैज्ञानिक, जैव प्रौद्योगिकी विभाग से थे, समिति के सदस्यों ने केंद्र पर लगे लगभग 43 प्रयोगों का निरीक्षण किया.
इसके साथ ही 900 से अधिक जर्मप्लाज्म तथा 1900 से अधिक ब्रीडिग पापुलेशन एवं आने वाले प्रभेद जो विमोचित होने . उनका बारीकी से मूल्यांकन किया । समिति के सदस्यों ने पास के गांव में किसान के खेत पर लगे नव विकसित प्रभेद, सबौर हीराधान के साथ स्वर्ण एवं मिनी किट प्रयोग में प्रदर्शन के लिए दी गई प्रभेद सबौर मसूरी धान के खेत का भी निरीक्षण.
निरीक्षण के दरम्यान समिति के सदस्यों द्वारा सबौर हीराधान की जमकर तारीफ की गई. साथ ही केंद्र परिसर में लगे अन्य नव विकसित प्रभेदों जैसे बीआरआर2176, बीआरआर2177, बीआरआर2141, बीआरआर2108, बीआरआर2107, बीआरआर 2074, आदि के गुणवत्ता एवं अत्यधिक उपज क्षमता की भी तारीफ की गई. इन प्रभेदों के विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ प्रकाश सिंह के अल्पावधि में किए गए शोध कार्य की निरीक्षी दल द्वारा प्रशंसा की गई.
विभाग के प्रयोगों का बारीकी से मूल्यांकन किया गया. जब कि प्राचार्य डॉ मो. रियाज अहमद, धान पौध रोग विशेषज्ञ के द्वारा लगाए गए प्रयोगों का भी मूल्यांकन किया गया. सभी प्रयोग उचित ढंग से एवं नियमानुकुल लगाए गए थे, कुछ प्रयोगों में इस वर्ष, झुलसा रोग, तना छेदक एवं भूरा कीट का प्रकोप काफी ज्यादा दिखाई दिया है. साथ ही कहीं-कहीं लेडआ रोग का भी प्रकोप इस केंद्र पर दिखाई दिए. वैज्ञानिकों के साथ ही क्षेत्र के प्रगतिशील कृषक विजय कुमार, धर्मेंद्र उपाध्याय, सुमन, हीरालाल भगवान, भिखर जी आदि उपस्थित थे.