- डीएम साहब अब आप ही कुछ कर सकते है…भद्दे-भद्दे कमेंट्स और गन्दे-गन्दे इशारों से हर दिन गुजरना पड़ता है.
- स्कूल गेट के आसपास छुट्टी होने तक मंडराते रहते है शोहदे…डर और दर्द के बीच पढ़कर नाम रौशन करती है बेटियाँ.
Purnia, Rajesh Kumar Jha : स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों का दर्द तो देखिए.डर से अपने अभिभावक को भी नहीं बोल पाती है कि कहीं अभिभावक अपने बेटियों को स्कूल जाने के लिये ही न मना जर दे.डर और दर्द को बर्दाश्त करते हुए लड़कियाँ स्कूल जाती है और पढ़कर माँ-बाप और देश का नाम रौशन करती है बेटियाँ. बताते चलें कि बिफोरप्रिन्ट मीडिया को कई स्कूलों से ये शिकायत मिल रही थी कि स्कूल आने से लेकर छुट्टी के वक्त तक कुछ शोहदे स्कूल गेट के आसपास मंडराते रहते है और स्कूल आने वाली लड़कियों को भद्दे-भद्दे कमेंट्स करते हुए गन्दे-गन्दे इशारे करते है.
उसके बाद बिफोरप्रिन्ट की टीम शहर के कुछ सरकारी एवं प्राइवेट बड़े एवं प्रेस्टीजियस स्कूलों पर जाकर सच्चाई देखने पहुंची तो लड़कियों की बातों में सच्चाई नजर आयी. जब लड़कियों से बात की तो उनके पास इस समस्या का कोई हल नहीं था.वो न अपने अभिभावक को खुलकर कुछ कह सकती थी और न ही मीडिया के सामने ही कुछ बोल सकती थी.
लड़कियां जब स्कूल से घर आकर अपने माँ-पापा को कुछ कहती है तो उल्टा हमलोगों को ही सुनना पड़ता है की तुम लोगों की गलती होगी.पापा कहते है कि बांकी भी लड़कियां तो पढ़ती है.उनको तो स्कूल आने-जाने में कोई परेशानी होती है. जिलापदाधिकारी महोदय कृपया ध्यान दें.डर और दर्द के बीच पढ़ते हुए नाम रौशन कर कर रही है बेटियां.