पत्नी और साले की प्रताड़ना से होमियोपैथिक चिकित्सक की गयी थी जान, एसपी को आवेदन दे मृतक के भाई ने की कार्रवाई की मांग

नवादा

-मामला शहर के होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ.शम्भु प्रसाद की संदेहास्पद मौत का

नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) नगर के होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ.शम्भु प्रसाद की मौत का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है. मौत की वजह पत्नी और साले की प्रताड़ना को वजह बताते हुए उनके भाई ने पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की है. डॉ.शम्भु प्रसाद के बड़े भाई भोला प्रसाद ने इस संबंध में एसपी को आवेदन दे कर कई तथ्यों से अवगत कराते हुए कार्रवाई की मांग की है. बता दें कि शहर के फल गली के सामने, मेन रोड निवासी डॉ.शम्भु प्रसाद की 12-13 जनवरी की रात संदेहास्पद मौत हो गयी थी. अब उनके भाई शहर के गढ़पर मोहल्ला निवासी भोला प्रसाद ने आवेदन में कहा है कि मेरे छोटे भाई डॉ.शम्भु प्रसाद की मृत्यु अस्वाभाविक परिस्थितियों में हो गयी थी.

उन्हें उनकी पत्नी संगीता वर्णवाल एवं साला अजय कुमार और डॉ.विजय कुमार द्वारा मानसिक प्रताड़ना दी जा रही थी. इससे ऊब कर 2016 में वह घर छोड़कर चले गए थे और बाद में पत्नी द्वारा प्रताड़ित नहीं करने का वचन देने पर घर वापस लौटे थे. इसके बाद भी डॉ.शम्भु प्रसाद की असहमति के पत्नी द्वारा अपने भाई की आय से अधिक अर्जित काले धन से नवादा बाजार में सूद-व्याज का व्यापार किया जाता था, जिस कारण डॉ.शम्भु प्रसाद बहुत तनाव में रहते थे. पत्नी के रवैए से वे मानसिक दबाव एवं ग्लानियुक्त उत्पीड़न झेल रहे थे.

यह व्यथा वह अपने मित्रों के बीच व्यक्त करते थे. उनके साले द्वारा काले धन से उनकी पत्नी के नाम पर जमीन रजिस्ट्री आदि की जानकारी पर उन्होंने विरोध किया तो साले धमकी देते थे.
आवेदन में यह भी कहा गया है कि घटना स्थल (बेडरूम) सुरक्षित रूम नहीं हैं. बेडरूम में अन्दर आने का दो रास्ता है. घटना बाहरी सहयोगी से घटित होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. पंचनामा में कोई भी धोती, गमछा, साड़ी, रस्सी आदि का प्राप्त नहीं होना और उनकी अपनी पत्नी एवं बेटी का कोई शोर नहीं मचाना संदेहास्पद है.

वर्तमान में मृतक की पत्नी संगीता वर्णवाल एवं उनके साले पुलिस जांच को दबाना चाह रहे हैं. एक भाई अजय कुमार अपने को एक उच्चस्तरीय पदाधिकारी बताते हैं. ऐसे व्यक्ति के द्वारा पुलिस की स्वाभाविक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हुए जांच की कार्यवाही बंद करने का आवेदन देना शक के घेरे में प्रतीत होता है. इन तथ्यों के आधार पर कार्रवाई हो तो सब साफ हो जाएगा और मृतक के परिजनों को इंसाफ मिल सकेगा.बहरहाल, घटना के करीब 10 माह बाद भाई के आगे आने और निष्पक्ष जांच की मांग ने इस मामले को फिर से सुर्खियों में ला दिया है.