Patna, Beforeprint : नगर निकाय चुनाव में अधिसूचना दायर करना नीतीश की सरकार को भारी पड़ सकता है। मामले में उन पर कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई हो सकती है। साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग पर भी मानहानि का मामला बन सकता है। इन चुनावों में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर दायर याचिकाकर्ता राहुल श्याम भंडारी ने बताया कि 30 नवंबर को हड़बड़ी में जारी की गयी अधिसूचना कोर्ट की अवमानना है। 28 नवंबर को ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि बिहार का राज्य अति पिछड़ा वर्ग आयोग एक डेडिकेटेड आयोग नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को जारी करने में एक टाइपो (टाइपिंग) मिस्टेक हुई थी। इकनॉमकली बैकवार्ड क्लास कमीशन(Economically Backward Class Commission) नहीं बल्कि एक्सट्रीमली बैकवार्ड क्लास कमीशन (Extremely Backward Class Commission) पढ़ा जाना चाहिए।
लेकिन ये सर्वविदित था और है कि इस मामले में इकोनॉमिकल बैकवार्ड क्लास कमीशन का कहीं कोई लेना देना है नहीं है। साथ ही प्रदेश में कोई इकोनॉमिकल बैकवार्ड क्लास कमीशन है। पेशे से वकील भंडारी ने कहा कि मामले में बैकवार्ड क्लास कमीशन शामिल है। जिसे शीर्ष अदालत ने डेडिकेटेड कमीशन मानने से साफ इंकार कर दिया है। 28 नवंबर के आदेश की टाइपिंग में जो गलती हुई थी उसे सुधारकर 1 दिसंबर को नया आदेश निकाल दिया गया है। निकाय चुनाव में आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट कई बार कह चुका है कि पिछड़े वर्ग को तभी आरक्षण दिया जा सकता है, जब राज्य सरकार एक डेडिकेटेड कमीशन बनाये। जो राजनीतिक तौर पर पिछड़े वर्गों की पहचान करे और उसकी सिफारिश पर आरक्षण का प्रावधान किया जा सकता है।
भंडारी ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद एक दिन में राज्य सरकार का निर्वाचन आयोग को रिपोर्ट सौंपना और उसी दिन निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचना जारी कर देना हैरानी भरा प्रकरण है। वकील राहुल श्याम भंडारी ने पहली दिसंबर को ही सुप्रीम कोर्ट की बेंच के समक्ष बिहार राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचना जारी करने की जानकारी दी थी। इसके बाद कोर्ट ने सारे मामले की जानकारी देने को कहा है।
भंडारी ने कहा कि याचिका दायर करने वाले सुनील कुमार से बात कर जल्द ही कोर्ट के समक्ष आवेदन देंगे। वकील राहुल श्याम भंडारी ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि अति पिछड़ा वर्ग आय़ोग डेडिकेटेड कमीशन नहीं है तब उसे डेडिकेटेड कमीशन बता कर चुनाव की घोषणा करना सुप्रीम कोर्ट की अवमानना ही है। वे कोर्ट के समक्ष इस बात को रखेंगे। पहली दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निकाय चुनाव पर संकट और गहरा गया है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत औऱ जस्टिस जे के माहेश्वरी की बेंच ने 1 दिसंबर को बिहार में निकाय चुनाव पर रोक लगाने वाली याचिका में अपने पहले फैसले में टाइपिंग की गलती के बाद नया आदेश जारी किया है।