Pulin Tripathi, Beforeprint : आज की तारीख ऐतिहासिक रूप से काफी मायने रखती है। चाहे 1884 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म दिन हो या फिर 1889 में हुआ खुदीराम बोस का जन्म दिन। 30 साल पहले आज की तारीख में दुनिया का सबसे पहला SMS भेजा गया था। 1829 में आज के रोज वायसराय लॉर्ड विलियम बेंटिक ने भारत में सती प्रथा पर रोक लगा दी थी। इतनी रोमांचित करने वाली उपलब्धियों के बाद भी इस दिन को अगर याद किया जाता है तो खासतौर पर भोपाल गैस त्रासदी के लिए। यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से निकली मिथाइल आइसोसाइनेट नाम की जहरीली गैस ने इस दिन को काला कर दिया।
दो-तीन दिसंबर 1984 की रात भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कीटनाशक संयंत्र से जहरीली गैस हवा में मिल कर आसपास के तमाम इलाकों में फैलने लगी। हादसे में हजारों जानें गईं। यहां तक कि नागासकी और हिरोशिमा पर हुए परमाणु हमले की तरह ही यहां भावी पीढ़ियां भी इस जहरीली गैस के दंश को आज तक छेल रही हैं। इसी हादसे की वजह से आज भी आज का दिन भारत के इतिहास के सबसे काले दिनों में गिना जाता है। जिसे याद करने के बाद भोपाल ही नहीं पूरी दुनिया के लोग आज भी सिहर जाते हैं। घटना का दर्द आज भी जिंदा है। वजह यह कि इस घटना के मुख्य आरोपी को कभी सजा ही नहीं हो सकी। तमाम लोग तत्कालीन राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन और उसकी मूल कंपनी के साथ सांठगांठ करने का आरोप लगाते रहे हैं।
गहरी रात में हुए इस हादसे में लगभग 45 टन जहरीली गैस एक कीटनाशक संयंत्र से लीक हो गई थी। अपनी रजाइयों में दुबके हजारों लोग मौत की नींद सोते रह गए। जो जागे उन्हें आंखों और गले में जलन की दिक्कत भी हुई। सड़कों पर लोगों का हुजूम निकल आया। यह संयंत्र अमेरिकी फर्म यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन की भारतीय सहायक कंपनी का था। घटना में तकरीबन 16000 से अधिक लोगों के काल के गाल में समा जाने की खबरें सामने आईं थी। मगर सरकारी आंकड़ों में केवल तीन हजार लोगों के मारे जाने की बात मानी गई। गैस इस कदर जहरीली थी कि इसके संपर्क में आए करीब पांच लाख लोग जीवित तो बच गए। अंधेपन तक की समस्या से लोग जूझने को मजबूर हो गए।