DESK : बिहार में निकाय चुनाव पर एक बार फिर काले बादल मडराने लगे है. सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले पर तत्काल सुनवाई के लिए याचिका दायर कर दी है. कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह तत्काल इस मामले पर सुनवाई करे और बिहार में कराये जा रहे निकाय चुनाव पर रोक लगाये. सुप्रीम कोर्ट में कल यानि 8 नवंबर को इस मामले पर सुनवाई हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को नयी याचिका दायर की गयी है. सुप्रीम कोर्ट से तत्काल इस मामले की सुनवाई करने की मांग की गयी है. कोर्ट में आज याचिकाकर्ता सुनील कुमार की ओऱ से गुहार लगायी गयी है.
इसमें कहा गया है कि बिहार में निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जस्टिस सूर्यकांत और जे के माहेश्वरी की बेंच ने 28 नवंबर को बिहार सरकार औऱ बिहार राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था और 28 नवंबर 2022 को ही समर्पित आयोग के कामकाज पर रोक लगा दिया था. इसके बाद बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने 30 नवंबर को एक चुनाव अधिसूचना जारी कर दी गयी है जिसमें अति पिछड़ा वर्ग आय़ोग को समर्पित आयोग यानि डेडिकेटेड कमीशन बताते हुए उसकी रिपोर्ट के आधार पर चुनाव कराने की घोषणा कर दी गई है.
जबकि कोर्ट पहले ही उसे डेडिकेटेड आयोग मानने से इंकार कर दिया था. बाद में 1 दिसंबर को भी सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने स्पष्ट किया कि जिसे डेडिकेटेड कमीशन मानने से इंकार कर दिया गया था वह एक्ट्रीमली बैकवार्ड क्लास कमीशन यानि अति पिछ़ड़ा वर्ग आयोग ही है. सुप्रीम कोर्ट में दायर ताजा अर्जी में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के 1 दिसंबर के आदेश के बावजूद भी चुनाव की अधिसूचना को वापस नहीं लिया गया है. ये माननीय सुप्रीम कोर्ट के 28 नवंबर और 1 दिसंबर के आदेश का जानबूझ कर किया गया उल्लंघन है. ये स्पष्ट है कि बिहार में जानबूझ कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. कोर्ट में दायर ताजा याचिका में कहा गया है कि 5 दिसंबर को भी इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की बेंच में हुई थी.
इसमें मामले की सुनवाई जल्द करने की गुहार लगायी गयी थी क्योंकि बिहार में चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. कोर्ट ने 5 दिसंबर की सुनवाई के दौरान मौखिक तौर पर पूछा था कि इस आशंका का आधार क्या है कि पिछड़ों को आरक्षण देने के मामले में ट्रिपल टेस्ट का पालन नहीं किया जा रहा है. उस दिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मौखिक तौर पर कहा था कि जरूरत पड़ने पर बाद में भी इस मामले में आदेश दिये जा सकते हैं. 5 दिसंबर को कोर्ट में सुनवाई के समय राज्य निर्वाचन आयोग की 30 नवंबर की चुनाव अधिसूचना के कागजात औऱ उस पर रोक लगाने का आवेदन कोर्ट में प्रस्तुत नहीं गया था.
याचिका दायर करने वाले ने सुप्रीम कोर्ट के रिकार्ड में बिहार राज्य निर्वाचन आयोग की अधिसूचना और उस पर रोक लगाने का आवेदन दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट में 7 दिसंबर को दायर आवेदन में कहा गया है कि बिहार राज्य निर्वाचन आयोग की 30 नवंबर की चुनावी अधिसूचना इन आशंकाओं की पुष्टि करता है कि ओबीसी श्रेणी के साथ-साथ ईबीसी श्रेणी को कवर करने वाले ट्रिपल टेस्ट का कोई अनुपालन नहीं है. ये सुप्रीम कोर्ट द्वारा 28 नवंबर औऱ 1 दिसंबर को दिये गये आदेश का जानबूझकर किया गया उल्लंघन है.
बता दें कि, बिहार में निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहले से मामला चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 28 नवंबर को ही बिहार के अति पिछड़ा वर्ग आय़ोग को निकाय चुनाव में आरक्षण तय करने के लिए डेडिकेटेड कमीशन यानि समर्पित आय़ोग मानने से इंकार कर दिया था. हालांकि इस मामले में 5 दिसंबर को फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और कोर्ट की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी 2023 को करने का आदेश दिया था. इस बीच बिहार में नगर निकाय चुनाव संपन्न हो जाता. तभी ये कयास लगाया जा रहा था कि बिहार सरकार सूबे में निकाय चुनाव करा लेगी.