-बाहरी क्रिकेटरो के लगातार विफल होने से उठ रहे सवाल
Bhupendra Singh : उत्तर प्रदेश क्रिकेट टीम में दिल्ली और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों के बहुत सारे क्रिकेटर अपनी जोर आजमाइश कर रहे हैं। अब, राज्य की टीम बाहरी लोगों के लिए प्रवेश द्वार बन गई है, जो इस मंच का उपयोग इंडियन प्रीमियर लीग के लिए पात्र बनने के लिए कर रहे हैं। नीति के अनुसार उसी व्यक्ति को आईपीएल मे खेलने का अवसर मिल सकेगा जिसने किसी भी प्रदेश की टीम से कम से कम एक घरेलू मैच खेला हो। उत्तर प्रदेश के क्रिकेट टीम में भारी खिलाड़ियों का जमावड़ा इस प्रदेश में रहने वाले खिलाड़ियों से भी कहीं ज्यादा है| अब यूपी टीम में अधिकतर हरियाणा और दिल्ली के अलावा राष्ट्रीय राजधानी से सटे अन्य शहरों के खिलाड़ियों की जमात देखी जा सकती है।
यूपी टीम से खेलने के लिए बाहरी क्रिकेटरो की जमात अब भी चयनकर्ताओं से जुगाड़ लगाने से बाज नही आते दिखायी दे रहे रहे तो वही इस सत्र मे अब तक औसत दर्जे से भी नीचे प्रदर्शन करने वाले कप्तान को अभी भी उनके पद पर बहाल रखा गया है। अब इस साल के आखिरी सत्र के प्रतिष्ठित रणजी ट्रॉफी के मुकाबले मे यूपी को अंतिम शीर्ष पर बने रहने की चुनौती होगी घरेलू सत्र के बाद, पूर्व चैंपियन उत्तर प्रदेश का लक्ष्य अगले सप्ताह से शुरू हो रहा है। अपने पहले मैच में उत्तर प्रदेश मंगलवार (13 दिसंबर) से कोलकाता के ईडन गार्डन्स में बंगाल से भिड़ेगा।
सैयद मुश्ताक अली ट्वेंटी-20 ट्रॉफी में, करण शर्मा एंड कंपनी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे और नॉकआउट चरण में भी जगह नहीं बना सके क्योंकि वे अनुभवहीन पक्षों से हार गए थे। सीज़न की दूसरी घटना, विजय हजारे ट्रॉफी में, यूपी प्री-क्वार्टर फ़ाइनल में पिछले साल के चैंपियन मुंबई को हराकर भी अंतिम चार में जगह बनाने में असफल रहा। उत्तर प्रदेश ने केवल एक बार 2005-06 में रणजी ट्रॉफी जीती है, जब मोहम्मद कैफ के नेतृत्व वाली टीम ने पहली पारी की बढ़त के आधार पर बंगाल को हराया था।
उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) के भीतर कई लोगों ने प्रतिष्ठित आयोजन में उत्तर प्रदेश की लगातार विफलता के कारणों का पता लगाने की कोशिश की है। सबसे बड़ा कारण, वे समझते हैं, 15 सदस्यीय टीम के साथ-साथ प्लेइंग इलेवन में बाहर से बहुत अधिक दबाव है। यूपीसीए के एक पदाधिकारी ने बताया कि हमारे पास अभी कैंप में 36 खिलाड़ी हैं, लेकिन हर कोई जानता है कि पूरे सीजन में कौन खेलने वाला है। यहां तक कि अंतिम 15 के बारे में भी नहीं पता होगा जब टीम पहले मैच के लिए कोलकाता के लिए रवाना होगी।’
उन्होंने कहा, “यहां तक कि बाहरी लोग भी इस उद्देश्य के लिए उत्तर प्रदेश के लिए खेलना पसंद करते हैं।”उन्होंने कहा, ‘सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि हमारे पास सपोर्ट स्टाफ भी है, जिसमें मुख्य कोच के रूप में हरियाणा के अजय रात्रा और बाहर से गेंदबाजी कोच विक्रमजीत मलिक शामिल हैं। यह तब है जब उत्तर प्रदेश के पास अतीत के काफी अच्छे क्रिकेटर हैं। आइपीएल मे प्रवेश पाने के लिए बाहरी क्रिकेटरो ने अपना प्रवेश द्वार बना लिया है।