स्टेट डेस्क/पटना : पटना के बोरिंग रोड इलाके से फर्जी अंकपत्र बनाने का धंधा चलाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करने वाले आर्थिक अपराध ईकाई (EOU) ने Bihar Board of Open Schooling and Examination (BBOSE) के आइटी हेड अभय कुमार समेत तीन जालसाजों को गिरफ्तार किया है। अभय (उम्र 38 वर्ष) मुजफ्फरपुर के काजी मुहम्दपुर थाना क्षेत्र के दामोचक का निवासी है। उसके पिता का नाम स्व० नन्द किशोर सिंह है। आर्थिक अपराध ईकाई ने अभय को पटना के पत्रकार नगर थाना क्षेत्र के विजयनगर से गिरफ्तार किया है।
आर्थिक अपराध ईकाई ने बबलू कुमार (उम्र 46 वर्ष) पिता स्व० राजेन्द्र प्रसाद, सा० – नीम की भट्टी, गुलजारबाग, पटना सिटी, थाना – आलमगंज, जिला- पटना को गिरफ्तार किया है।
तरुण कुमार (उम्र-39 वर्ष) पिता- लक्ष्मीकान्त उपाध्याय, सा०- फ्लैट नं0-302 श्रीबालाजी अपार्टमेंट, कालीकेत नगर, जजेज कॉलोनी, यादव बाजार, सगुना मोड़, दानापुर से गिरफ्तार किया था। तरुण, अररिया जिले स्थायी निवासी है। वह उपाध्याय निवास, गर्ल्स हाइस्कूल रोड, आश्रम टोला, वार्ड नं0-10 अररिया कोर्ट, अररिया का रहने वाला है। चौथी गिरफ्तारी राजू गिरि (उम्र 38 वर्ष) पे० – स्व० अवध किशोर की हुई है। वह अदलीपुर पो० – नेउरा थाना-बिहटा जिला – पटना का रहने वाला है। गौरतलब है कि इस गिरोह का मास्टमाइंड यूपी के आजमगढ का निवासी फहीम अहमद पहले ही पकड़ा गया था।
मालूम हो कि पटना के बोरिंग कैनाल रोड इलाके में जमुना अपार्टमेंट के पीछे Addiction Gym के ऊपरी तल पर Admission Provider नाम की एक एजेंसी संचालित होने की सूचना पर छानबीन कराई गयी थी। जांच में पता चला था कि यह एजेंसी Bihar Board of Open Schooling and Examination के कर्मियों की मिलीभगत से परीक्षा में स्कालर बिठाने, मूल अंकपत्र में हेराफेरी कर अंक बढाने का धंधा चला रहा है।
एजेंसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर छापामारी की गयी। छापेमारी के दौरान Admission Provider के मालिक फहीम अहमद ( पिता- नसीम अहमद, मुबारकपुर, जिला – आजमगढ़) को गिरफ्तार किया गया था. पटना में उसका ठिकाना छज्जूबाग में टीएन बनर्जी रोड के जेके टावर के फ्लैट नंबर 301 है। Admission Provider के दफ्तर से BBOSE का होलोग्राम, कूट रचित अंकपत्र आदि जब्त किये गये है। यह गिरोह बारहवीं फेल या कम अंक से पास छात्र- छात्राओं से मोटी रकम लेकर परीक्षा पास कराने या अंक बढवाने का ठेका लेता था। गिरोह के संपर्क में BBOSE के कर्मचारी रहते हैं जो बोर्ड के रिकार्ड में भी हेराफेरी करते थे ताकि वेरीफिकेशन में जालसाजी पकड़ी न जाये। यह गिरोह मेडिकल, इंजीनियर समेत उच्च शिक्षा संस्थानों में एडमिशन की गारंटी लेता था।