-धरिक्षणा कुंवरि ने संपूर्ण धन का सदुपयोग परमार्थ में करने का किया है काम।
-कई स्कूल, कालेज, धर्मशाला एवं अस्पताल के निर्माण में चल व अचल संपति का किया है दान।
बक्सर,बिफोर प्रींट। बक्सर जिला के सिमरी अंचल के डुमरी गांव के प्रसिद्ध वियाहुतवंशीय साह परिवार से जुड़ी महिला धरिक्षणा कंुवरि अपने दानशीलता के लिए भारतीय इतिहास में आज भी जीवित है। उनकी दानशीलता के कई उदाहरण आज भी विद्यमान है। उन्होनें खुद अनपढ़ रहते हुए भी पुराने शाहाबाद जिला (अब बक्सर) में शिक्षा का अलख जलाने का काम किया है। डुमरी निवासी पति श्रीकृष्ण प्रसाद साह के असामयिक निधन के बाद उन्होनें उनकी स्मृति में श्रीकृष्ण प्रसाद मिडिल स्कूल,का निर्माण कराई।
वर्ष 1936 में बक्सर शहर में खुद के नाम पर मध्य विद्यालय का निर्माण, वर्ष 1951 मेें बक्सर शहर में ही यात्रियों के लिए अपने नाम पर धर्मशाला का निर्माण, डुमरांव नगर में धरिक्षणा कंुवरि कालेज(डी.के.कालेज) का निर्माण, डुमरी गांव में डी.के.मेमोरियल कालेज का निर्माण,आरा के पास कोईलवर टीवी सेनेटोरियम के निर्माण के लिए जमीन एवं नकद राशि का दान, उत्तर प्रदेश के काशी विश्व विद्यालय में राशि दान देकर छात्र कल्याण कोष की स्थापना एवं राजधानी पटना में धर्मशाला का निर्माण कराने का काम किया है।
वहीं ममतामयी मां व दानवीर महिला धरिक्षणा कुंवरि नें देश की आजादी के लड़ाई दौरान महात्मा गांधी को सोनें की कंगन सहित कई स्र्वणाभूषण दान देने का कार्य किया था। इतिहास के जानकारों की मानें तो वर्ष 1932 में बक्सर आगमन के दौरान धरिक्षणा कुंवरि के आमंत्रण पर महात्मा गांधी डुमरी स्थित उनके आवास पर पंहुचे थे। आवास पर ही धरिक्षणा कुंवरि नें महात्मा गांधी को अपनें सोनें का कंगन सहित अन्य कई स्र्वणाभूषण दान किया था।