शिव कुमार : आरा मंडल कारा के जेल अधीक्षक संदीप कुमार पर जेल के कुख्यात बंदियों से सांठ-गांठ और प्रशासनिक विफलता के आरोप में निलंबन की कार्रवाई की गई है। मंडल कारा,आरा में औचक छापेमारी के दौरान मोबाइल समेत अन्य आपत्तिजनक सामानों की बरामदगी के मामले में जेल अधीक्षक संदीप कुमार पर विभागीय कार्रवाई की गई। कारा एवं सुधार सेवा के संयुक्त सचिव ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन पर राज्यपाल की भी स्वीकृति मिल गई है। प्रपत्र क में आरोपित गठित कर अलग से विभागीय कार्रवाई चलेगी। वैकल्पिक व्यवस्था के लिए डीएम को अधिकृत किया गया, जिसके बाद डीएम राजकुमार ने जिला भूअर्जन पदाधिकारी सत्यप्रकाश को जेल का प्रभार सौंपा है।
बीते दिनों भोजपुर में लगातार हो रही अपराधिक घटनाओं से जिले में लोग दहशत में जीने को मजबूर हो गए थे, और पुलिस को भी समझ नहीं आ रही थी कि आखिरकार एकाएक भोजपुर में अपराधिक घटनाएं इतनी बढ़ क्यों गई। लेकिन किसे पता था भोजपुर में बढ़ते अपराध के पीछे आरा मंडल कारा में बैठे कुख्यात अपराधियों का बहुत बड़ा हाथ है, जो जेल में बैठ कर अपराधिक घटनाओं को अंजाम दिला रहे है। इसके चलते जेल अधीक्षक संदीप कुमार पर विभागीय कार्रवाई की गई। कारा एवं सुधार सेवा के संयुक्त सचिव ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन पर राज्यपाल की भी स्वीकृति मिल गई है।
प्रपत्र क में आरोपित गठित कर अलग से विभागीय कार्रवाई चलेगी। वैकल्पिक व्यवस्था के लिए डीएम को अधिकृत किया गया, जिसके बाद डीएम राजकुमार ने जिला भूअर्जन पदाधिकारी सत्यप्रकाश को जेल का प्रभार सौंपा है। कुख्यात बंदियों से सांठ-गांठ और प्रशासनिक विफलता के आरोप में निलंबन की कार्रवाई की गई है। निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय केन्द्रीय कारा,गया निर्धारित किया गया है। बीते दिनों 28 नवंबर को डीएम राजकुमार एवं पुलिस अधीक्षक संजय कुमार सिंह ने मंडल कारा,आरा मेें औचक छापेमारी कर आठ मोबाइल, पांच सिम कार्ड, चार चार्जर , कैंची एवं 15 हजार रुपये नकद बरामद किया था। इसके बाद जेल अधीक्षक ने इस मामले में जेलर एवं कक्षपाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था।
कारा एवं सुधार सेवा गृह विभाग (कारा) के संयुक्त सचिव रजनीश कुमार सिंह के हस्ताक्षर से निर्गत आदेश में कहा गया है कि छापेमारी से पूर्व केन्द्रीय कारा बक्सर के काराधीक्षक ने पांच नवंबर को मंडल कारा,आरा का औचक निरीक्षण किया था। जिसमें ज्ञात हुआ था कि जेल में बंद बंदी धनजी यादव एवं विनोद यादव का प्रभाव कारा प्रशासन को प्रभावित करने में है। दोनों बंदियों का इतना प्रभाव है कि कारा प्रशासन ठीक से अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पा रहा है। बेड चार्ज के नाम पर अवैध वसूली, कैंटिन के सामानों का अधिक दर पर बिक्री , कमजोर बंदियों को प्रताड़ित करने का कार्य किया जाता है।
आदेश में यह भी कहा गया है कि मंडल कारा की प्रशासनिक व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है, और कुख्यात कैदियों द्वारा कारा का संचालन किया जा रहा है। कुख्यात बंदियों से आपराधिक सांठ-गांठ परिलिक्षित होने का भी जिक्र है। जिलाधिकारी राजकुमार और पुलिस अधीक्षक संजय कुमार सिंह की छापेमारी में आपत्तिजनक सामान की बरामदगी एवं बक्सर काराधीक्षक के औचक निरीक्षण से इस बात की पुष्टि हाेने का भी उल्लेख किया गया है। वहीं इस पूरे प्रकरण के बाद 4 दिसंबर को 17 बंदियों को केन्द्रीय कारा भागलपुर स्थानांतरित कर दिया गया था।