मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के 20 वर्षों की विजय गाथा, अखंड भारत के नए “लोगो” का अनावरण
Central Desk : आज से ठीक 20 वर्ष पूर्व 24 दिसंबर 2002 को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का गठन किया गया था। इसे शुरू करने वालों में पूर्व संघ प्रमुख के सी सुदर्शन, संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार, मुस्लिम बुद्धिजीवी मौलाना वहीदुद्दीन खान और हाजी इलियासी शामिल थे। 20 वर्षों की पूर्व संध्या पर नई दिल्ली के ऐवान ए गालिब में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने शुक्रवार को अपना 21वां स्थापना दिवस मनाया। मंच के संरक्षक व आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने इस दौरान कहा कि पाकिस्तान को उसी को भाषा में जवाब देना चाहिए और वैसे लोग जिनका अपने देश की सरजमीं पर दम फूलता है और यहां रहने में उन्हें बेचैनी का एहसास होता है, उन्हें जहन्नुम में भी जगह नसीब नहीं होती है।
इससे पहले मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद की बनाई 11 मिनट की एक फ़िल्म दिखाई गई, जिसमें मंच के 20 साल की विजय गाथा को शानदार तरीके से दर्शाया गया। फिल्म देखने के बाद कार्यकर्ताओं में रोमांच देखा गया, इस दौरान ऑडिटोरियम में बेहिसाब तालियां बजीं। इस मौके पर इंद्रेश कुमार ने मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के नए लोगो का अनावरण किया। नए लोगो में अखंड भारत के मानचित्र को दर्शाया गया है। अब आगे से मंच इसी लोगो को प्रयोग में लाएगा।
इंद्रेश कुमार ने गालिब सभागार में आयोजित समारोह में कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने 20 साल की विजय गाथा संपन्न की है। इसके लिए उन्होंने मंच से जुड़े कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को बधाई दी। इंद्रेश कुमार ने कहा कि अगर पाकिस्तान में यह नारा लगाया जाता है कि कश्मीर के बिना पाकिस्तान अधूरा है तो हमें भी यह नारा लगाने से कोई रोक नहीं सकता कि लाहौर, कराची व ननकाना साहब के बिना भारत अधूरा है।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के 20वें स्थापना दिवस के कार्यक्रम में इंद्रेश कुमार ने दावा किया कि बलूचिस्तान और सिंध आदि हिस्से पाकिस्तान से अलग हो सकते हैं। यहां के लोग पाकिस्तान से अलग होने के लिए आंदोलन चला रहे हैं। कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली के माता सुंदरी रोड स्थित ऐवान-ए-गालिब सभागार में किया गया। उन्होंने कहा कि 1947 में भारत से पाकिस्तान टूटा था और 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश अलग हो गया, मगर यह सभी भारत का ही हिस्सा थे। आज भारत के इर्द-गिर्द कई सीमाएं बन गई हैं। सीमाओं की रक्षा के लिए हमें अरबों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
उन्होंने इशारों में देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ बुद्धिजीवी वर्ग के लोग कहतेे हैं कि इस देश में मुसलमानों में बेचैनी और असुरक्षा का भाव है, जबकि इस देश का मुसलमान हिंदुस्तानी था, हिंदुस्तानी है और हिंदुस्तानी ही रहेगा। उसे अपने देश से बेहद प्यार है और उसको यहां कोई डरा नहीं सकता। इंद्रेश कुमार ने कहा कि संविधान सभा में अनुच्छेद 370 का सभी मुस्लिम सदस्यों ने विरोध किया था। खुद बाबासाहेब ने भी इसका विरोध किया था मगर उस समय के प्रधानमंत्री ने अनुच्छेद 370 को अल्पकालिक तौर पर कश्मीर में लगाया था। 70 साल बाद मोदी सरकार ने इसे समाप्त किया।
उन्होंने कहा कि सरकार ने महिलाओं को तीन तलाक से छुटकारा दिलाया और कानून बनाकर महिलाओं को मान-सम्मान से जीने का हक प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज को हमेशा वोट बैंक समझा गया है। वर्तमान सरकार ने उनके हक की बात की है और उन्हें इज्जत के साथ जीने का मौका दिया है। इंद्रेश कुमार ने गालिब सभागार में आयोजित समारोह में कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने 20 साल की विजय गाथा संपन्न की है। इसके लिए उन्होंने मंच से जुड़े कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को बधाई दी। राष्ट्रवाद की पाठशाला चलाई और जन जागरण किया।
उन्होंने बताया कि 24 दिसंबर 2002 को 15-20 लोगों के साथ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच बनाया गया था। नेशन फर्स्ट, नेशन आलवेज, नेशन लास्ट की सोच के साथ यह आगे बढ़ा। लोग जुड़ते गए और वतन से मोहब्बत, इसकी इज्जत और कुर्बानी का जज्बा पैदा किया। आज यह मंच न सियासी है, न मजहबी, बल्कि खुदा की खुदाई बन गया है। मंच से जुड़े लोगों को यह पता है कि आदमी को जन्नत या जहन्नुम उसके मजहब, जाति, जुबान, पैसा, शिक्षा से नहीं मिलती, बल्कि अच्छे काम और किरदार से जन्नत मिलती है। मुस्लिम मंच नारी के सम्मान का तहरीक बनकर उभरा है।
कार्यक्रम में मां बेटी सम्मान के तौर पर बच्चियों को प्रशस्ति पत्र और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के नए लोगो अखंड भारत का मोमेंटो भी भेट किया गया। मौजूद पत्रकारों को भी स्मृति के तौर मंच के नए लोगो का मोमेंटो भेंट किया गया। मंच संचालन की जिम्मेदारी मोहम्मद साबरीन संभाल रहे थे। कार्यक्रम में मोहम्मद अफजाल, शाहिद अख्तर, शाहिद सईद, माजिद तालीकोटी, बिललुर्रहमान, ताहिर हुसैन, खुर्शीद रजाका, इमरान चौधरी, शालीन अली, शहनाज अफजल, अबु बकर, इरफान मिर्जा, अजमेर दरगाह कमेटी के सदस्य कासिम मलिक समेत कई गणमान्य मौजूद रहे।