STATE DESK : केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि अब तक भारत का इतिहास गलत तरीके से लिखा गया है, अब भारत सरकार पूरी ताकत के साथ नया और सही इतिहास लिखने की ओर प्रयासरत है। धर्मेंद्र प्रधान मंगलवार को सासाराम स्थित गोपाल नारायणसिंह विश्वविद्यालय परिसर में इतिहास अनुसंधान परिषद व अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना की ओर से आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे।
स्वतंत्रता और प्रतिरोध: अतीत से वर्तमान तक’ विषयक संगोष्ठी में प्रधान ने कहा, भारत की सबसे बड़ी पूंजी यहां का इतिहास और शिक्षा है । इस दिशा में इतिहास अनुसंधान परिषद व अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना सराहनीय कार्य कर रहे हैं। अभी 75 पुस्तकें अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा प्रकाशित की गई है इसको भारत सरकार अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं में अनुवाद कराएगी। जिससे भारत का समग्र इतिहास , यहां की संस्कृति और संप्रभुता पूरी दुनिया में पहुंचेगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रजातंत्र भारत के डीएनए में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि हमारे इतिहास, संस्कृति और रहन-सहन में जो औपनिवेशिक छाप है उसे खत्म किया जाना चाहिए। भारत सरकार इस दिशा में अग्रसर है। उन्होंने नौजवानों और भावी इतिहासकारों से अपील किया कि भारत के इतिहास को लिखने के लिए भारतीय परंपरा और चेतना के अनुसार उदाहरण इकट्ठा करने में भारत सरकार की मदद करें। प्रधान ने कहा कि भारत सरकार जल्द ही पूरे देश में 200 से ज्यादा एजुकेशनल टीवी चैनल शुरू करने जा रही है जिससे शिक्षा आसानी से लोगों तक पहुंच सकेगी।
प्रधान ने संगोष्ठी में आए अनुसंधानकर्ता एवं इतिहासकारों से अपील की कि वैज्ञानिक प्रमाण के आधार पर भारत की आदि संस्कृति एवं सभ्यता के बारे में 21 वीं सदी में वैश्विक स्तर पर लोगों को अवगत कराने का कार्य करें!
संगोष्ठी में सारस्वत अतिथि नव नालांदा महावीर विश्वविद्यालय, नालंदा के कुलपति प्रोफेसर वेदनाथ लाभ ने कहा कि भारत का इतिहास विश्व धरोहर का केंद्र बिंदु रहा है! भारत एक राष्ट्र के रूप में हमेशा मौजूद रहा। भारत अपने मूल्यों की वजह से ही पूरी दुनिया में विख्यात रहा है। इस दिशा में भारतीय इतिहास और संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना प्रयासरत है। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि हम भारत का समग्र और सही इतिहास जल्द ही पूरी दुनिया के सामने लाने में कामयाब होंगे।
संगोष्ठी में दूसरे सत्र के अतिथि हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रोफेसर सत्यप्रकाश बंसल ने कहा कि भारत में शिक्षा का विस्तार तो हुआ पर विकास नहीं हुआ। भारत सरकार की नयी शिक्षा नीति इस दिशा में कार्य करेगी। इससे पहले जो भी शिक्षा नीति लायी गयी थी,वह सिर्फ पुरानी शिक्षा नीतियों का रफू करने का कार्य करती थी। नयी शिक्षा नीति भारतीय संस्कृति , समाज और चेतना के अनुरूप होगी।
अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के संगठन सचिव डॉ बालमुकुंद पांडेय ने कहा कि कहां कि भारत का इतिहास अब तक धूल मिट्टी में छुपा हुआ था। अब नये भारत में फिर से उभर कर सामने आ रहा है इस दिशा में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के प्रयास से भारत का इतिहास फिर से चमक कर दुनिया के सामने आएगा।
संगोष्ठी में देश भर के बारह सौ इतिहासकर व शिक्षाविदों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दूसरे दिन संगोष्ठी की अध्यक्षता गोपाल नारायण विश्वविद्यालय के कुलपति गोपाल नारायण सिंह ने किया।