DESK : बिहार सरकार के खर्च पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना राजनीति साधते हैं। जब जब वह कमजोर हुए हैं तब तब सरकारी खजाने से अपना कैंपेन चलाने लगते हैं और यह इतनी सफाई से करते हैं कि सामने वाले को जरा भी अंदेशा नहीं होता है कि वह अपनी राजनीतिक कमजोरी को मजबूत करने के लिए सरकारी पैसे का उपयोग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब तक 13 यात्राएं निकाली हैं। 2-3 को छोड़कर बाकी सभी यात्राएं सरकारी थी और इस माध्यम से बिहार सरकार के पैसे का उन्होंने भरपूर उपयोग किया।
अब एक बार फिर से मुख्यमंत्री यात्रा निकाल रहे हैं, वह भी पूरी तरह से बिहार सरकार के खर्च पर, जाहिर सी बात है आने वाले दिनों में चुनाव है जिसमें इस यात्रा का उनको फायदा मिल सकता है। दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 12 सीटर विमान खरीद रहे हैं। अब यह विमान किसके लिए होगा? क्यों होगा? आखिर इसका उपयोग किस काम मे किया जाएगा? जबकि बिहार में हेलीकॉप्टर और विमान दोनों मौजूद हैं। ऐसे में 12 सीटर विमान का उपयोग मुख्यमंत्री अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए खरीद रहे हैं।
दरअसल, मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षा यह है कि वह पूरे भारत का दौरा करें, विपक्षी एकता को मजबूत करें, हालांकि उसमें वह सफल नहीं होने वाले हैं लेकिन, बिहार सरकार के खर्चे से खरीदे गए विमान से वह तमाम राज्यों का दौरा करेंगे। इसी उद्देश्य से बिहार सरकार 350 करोड़ रुपए खर्च करके हेलीकॉप्टर और 12 सीटर विमान खरीद रही है।
अब मुख्यमंत्री यह बताएं कि क्या उनकी राजनैतिक यात्राएं बिहार सरकार के पैसे से नहीं हो रही है? वह यदि सरकारी विमान से एक राज्य से दूसरे राज्य तक जाते हैं तो क्या उसमें बिहार सरकार का खर्च नहीं होगा? मुख्यमंत्री क्या यह दावा करेंगे कि वह सरकार के पैसे से खरीदे हुए विमान से राजनीति की यात्राएं नहीं करेंगे? सरकारी खर्चे पर एक राज्य से दूसरे राज्य नहीं जाएंगे? उनका जो देश के हर राज्यों में भ्रमण करने का लक्ष्य है वह अपने पार्टी जदयू के फंड से करेंगे! मुख्यमंत्री अक्सर यह दावा करते हैं कि वह राजनीतिक आदर्शवादिता पर काम करते हैं तो क्या उनसे यह उम्मीद की जाए कि वह अपनी राजनीति की यात्राएं बिहार सरकार के पैसे से खरीदे हुए हेलीकॉप्टर या विमान से नहीं करेंगे?