बेतिया, अवधेश कुमार शर्मा : भाकपा-माले केन्द्रीय कमिटी सदस्य सह सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने पश्चिम चम्पारण जिला की कुछ विशेष समस्याओं की तरफ मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए एक मांगपत्र सौंपा है। डी. बन्धोपाध्याय आयोग रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम चम्पारण जिला की 1 लाख 37 हजार एकड सीलिंग से फाजिल, बेनामी, गैरमजरूआ व अन्य जमीन गरीबों में वितरण योग्य है। जनहित में उसे चिन्हित कर सरकारी कार्यों और भूमिहीन गरीबों के बीच वितरण की व्यवस्था करने की माँग किया। एक लम्बे समय 1970 के दशक से न्यायालय में लंबित सभी भू-विवादों की शीघ्र सुनवाई की व्यवस्था की मांग किया। बिना वैकल्पिक व्यवस्था के गरीबों को उजाड़ने पर रोक लगाया जाए। पश्चिम चम्पारण जिला बिहार गन्ना उत्पादन का प्रमुख केंद्र है, लेकिन विगत कुछ वर्षों से चीनी मिलों के गलत बीज अनुशंसित करने से चम्पारण के लाखों किसानों को क्षति हो रहा है। गन्ना के सीओ 0238 और सीओ 0118 जैसे प्रमेद जी रेड रॉट रोग से ग्रसित है।
उसी को उन्नत प्रभेद बताकर चीनी मिली ने रोपाई कराया। इससे पिछले वर्ष की भाँति इस वर्ष भी गन्ना किसानों की फसल बर्बाद हुई है। इस संबंध में जाँच पड़ताल करा कर किसानों को क्षतिपूर्ति दिलाए सरकार और उपर्युक्त प्रभेद की रोपाई को पूर्णतः प्रतिबंधित करें। पिछले वर्ष इस संबंध में मेरे एक प्रश्न के सन्दर्भ में विधानसभा में सरकार ने कहा कि सीओ 0238 और सीओ 0118 की रोपाई क्रमशः कम करते हुए उसकी रोपाई बंद करा दी जायेगी। अलबत्ता सरकार की कथनी और करनी में भेद दिख रहा है, उसे उन्नत प्रमेद की श्रेणी में रख कर चीनी मीलों ने किसानो से उसी प्रभेद की रोपाई कराई। चीनी मील के धर्मकांटा पर गन्ना की तौल औसतन 100 क्विंटल पर 5 क्विंटल कम प्रदर्शित की जाने की शिकायत आम बनी रहती है। लेकिन किसानहित में सरकारी तौर पर अलग से कोई धर्मकांटा स्थापित नहीं रहने से चीनी मिलों का शोषण जारी है, इस समस्या का समाधान सुनिश्चित कराएं।
चीनी मीलों द्वारा खुटी (रेटून) गन्ना पहले नहीं लेने से किसानों की गेहूँ फसल की बुआई नहीं हो पायीं है और एक वर्ष के बदले किसानी का खेत डेढ़ वर्ष अगली फसल के लिए खाली होता है। इस सन्दर्भ में हर प्रभेद का खूंटी (रेंट्न) गन्ना पहले लेने की व्यवस्था कराना सुनिश्चित कराएं! गन्ना का चालू सत्र के लिए अभी तक मूल्य की घोषणा नहीं हो सकी है। इसे सत्र प्रारम्भ होने से पूर्व घोषित करने की नीति कुछ वर्षों से गन्ना मूल्य गन्ना पेराई सत्र के अंत में घोषित करने की परम्परा सी बन गई है। सरकार की इस उदासीनता से किसानो को हानि है यह किसानो के साथ अन्याय है। विगत कई वर्षों से केंद्र सरकार के द्वारा बिहार में यूरिया, डीएपी और अन्य रासायनिक खादों की आपूर्ति कम की जा रही है।
इससे पश्चिम चम्पारण जिला के बड़े थोक खाद विक्रेता कालाबाजारी बाजारी का अवसर मानकर मनमाने ढंग से चुनिंदा कालाबाजारी करने वाले कुछ खुदरा विक्रेताओं के माध्यम से खाद आपूर्ति करते है। प्रत्येक पंचायत में खाद आवंटन नहीं हो पाता। जिनके कारण खुदरा खाद विक्रेताओं को खाद नहीं मिलता वहां किसान दूसरे जगहों के खुदरा विक्रेताओं से कालाबाजारी के रेट पर खाद खरीदने को मजबूर होते है। इस समस्या के समाधान के लिए एक कदम थोक माफिया खाद विक्रेताओं पर कार्रवाई के साथ साथ सभी पंचायत में खाद आपूर्ति की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन कुछ कमजोर खुदरा खाद विक्रेताओं पर कार्रवाई कर कालाबाजारी रोकने की औपचारिकता पूरी की जाती है। पश्चिम चम्पारण जिला के उत्तरी हिस्से में थारू और उरांव आदिवासी आबादी है। उस समाज के छात्राओं को बेतिया और पटना जैसी जगहों पर रह कर पढ़ने में आवास पर भी भारी खर्च करना पड़ता है।
जो उनकी स्तिथि के अनुकूल नहीं है। पाक और उरांव आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए बेतिया और पटना में छात्रावास की व्यवस्था सुनिश्चित करें। जिला की ओरिया, पंडई, दोहरम, मसान, भपसा जैसी नदियाँ बालू और पत्थर उत्खनन पर रोक के कारण उथली हो गई है। जिससे वन क्षेत्र, कृषि क्षेत्र और गांवों का कटाव प्रति वर्ष हो रहा है। कटाव रोकने के क्रम में बाढ़ संघर्षात्मक कार्य में भी भारी सरकारी राशि खर्च हो रही है। सीमित मात्रा में नदियों की धारा को नियंत्रित करने के लिए बहाव व्यवस्थित नागरिकों को बालू, पत्थर उत्खनन को सड़क की सरकारी योजनाओं में जरूरत व घरेलू उपयोग के अनुसार छूट की जाय। यह 13 सितम्बर 2017 की केंद्र सरकार की वीटीआर संबंधी अधिसूचना के अनुसार भी ठीक है। प्रत्येक वर्ष बाढ़ संघर्षात्मक कार्य में धन राशि खर्च करने के बदले क्रमशः स्थायी कटाव रोधी कार्य करायें। सिकटा – मैनाटांड़ में बिल्कुल ही नहीं हो सका है।
वर्तमान बिजली आपूर्ति व्यवस्था और उसकी राशि वसूली की प्रणाली गरीब दलिती पर भारी पड़ रही है। उदाहरण के तौर पर पर चम्पारण जिला के बेतिया ग्रामीण प्रखंड की गोनौली मुशहर टोली में एक-एक परिवार का 50-50 हजार बिल आया हुआ है। जिसका भुगतान करना उन परिवारों के लिए कभी भी संभव नहीं है। कल पूरे होने की बिजली वर्तमान व्यवस्था के अनुसार काट देनी होगी। रोशनी का दूसरा विकल्प भी नहीं है। महादलित और अत्यंत गरीब परिवारों को 200 यूनिट तक बिजली दिल्ली-पंजाब की सरकारों की तरह निशुल्क करने की व्यवस्था की जाय। पूरे जिला में जमीन खरीद बिक्री के कारोबार में लिप्त बड़े-बड़े भू-माफिया अपराधी गिरोहों का संचालन कर रहे है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस प्रशासन को निर्देशित करने की हैसियत में पहुंच जा रहे हैं। इस पर रोक के लिए राजस्व विभाग की शाखा जमीन खरीद-बिक्री के लिए हर प्रखंड में खोली जाय, उसके निर्देशन में जमीन खरीद-कार्य हो।
यह रोजगार देने के साथ राजस्व की प्राप्ति का भी बड़ा स्रोत होगा और अपराध नियंत्रण में एक बर होगा। जमीन की दाखिल-खारिज में ही रहे भ्रष्टाचार पर रोक लगाया जाय। पूरे जिला में 8 वर्षों से नियमित शिक्षकों का स्थानांतरण रुका हुआ है। अधिकांश शिक्षक अधिक आयु के हो चुके है और उन्हें अपने विद्यालय आने-जाने में परेशानी है। उन्हें यथा शीघ्र जिला के अन्दर नियमित शिक्षकों को ऐच्छिक जगहों पर स्थानांतरण कराएं। जिला में किसानी के धान खरीद का मामला उसना चावल मिल चार- पांच जगह पर ही होने के कारण फसा हुआ हुआ है, जबकि दोनों चम्पारण के लोग अरवा चावल ही खाते हैं। विगत वर्ष तक लोगों मे बैंकों से ऋण लेकर अरवा चावल मिले स्थापित की है।
चावल आधारित कुटीर उद्योग और किसानों के हित में और चम्पारण के लोगों के पसंदीदा होने के कारण अरवा चावल मिल को भी किसान के धान खरीद करने की व्यवस्था की जाय। दलितों, पिछड़ों,अल्पसंख्यकों की न्यायपूर्ण आवाज को दबाने के लिए माले नेताओं संजय राम, लक्ष्मन राम, नन्दकिशोर महतों, लालजी यादव, रूस्तम अली और अन्य राजनीतिक कार्यकर्ताओं को सीसीए अंतर्गत बनायी गयी सूची से नाम हटायें। जैसी माँग हैं। भाकपा माले के विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता के हवाले से उपर्युक्त जानकारी सुनील यादव ने देते हुए बताया कि मांग पत्र की प्रतिलिपि प्रभारी मंत्री चम्पारण प्रभार लोक स्वास्थ्य एवं अभियंत्रण विभाग, बिहार सरकार, पटना, मंत्री राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग एवं गन्ना उद्योग विभाग, बिहार सरकार, पटना को प्रेषित की गयी है।