जीतनराम मांझी ने कहा, एससी-एसटी को मिले दो वोट का अधिकार, देश में लागू हो समान शिक्षा प्रणाली!

पटना

-पूर्व आइपीएस अफसर मैकूराम की जयंती पर बोले मांझी समान शिक्षा प्रणाली लागू हो तो आरक्षण की ज़रूरत नहीं!

हेमंत कुमार/पटना : पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने कहा कि देश में समान शिक्षा प्रणाली (कॉमन स्कूलिंग सिस्टम) लागू होना चाहिए और एससी-एसटी को दो वोट डालने का अधिकार मिलना चाहिए। ये हक हासिल करने के लिए एससी-एसटी समाज के लोगों को सड़क पर उतरना होगा! समान शिक्षा प्रणाली लागू हो जायेगी तो आरक्षण की जरूरत भी नहीं होगी। मांझी गुरुवार को मैकू राम जयंती-सह-स्मृति ग्रन्थ विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

बिहार में डीजी स्तर के आइपीएस अफसर रहे मैकू राम की जयंती के मौके पर आंबेडकर शोध संस्थान में बिहार और उत्तर प्रदेश से भी लोग पहुंचे थे। समारोह का उद्घाटन बिहार विधानसभा के अध्यक्ष अवधबिहारी चौधरी ने किया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा,हमारी प्रगति ‘रिवर्स गियर’ में जा रही है। जब हम पढ़ रहे थे ,तब प्राइवेट स्कूलों का नामोनिशान नहीं था। बाबा साहब आंबेडकर के आह्वान पर जैसे-जैसे गरीब के बच्चे पढ़ने और आगे बढ़ने लगे,वैसे-वैसे सरकारी स्कूलों की हालत खराब होने लगी। और प्राइवेट स्कूल बनने लगे।

दलितों- पिछड़ों को शिक्षा से रोकने के लिए यह एक बड़ी साज़िश है। हमारे बच्चे कमजोर नहीं हैं। उन्हें समान अवसर मिले तो वे सभी क्षेत्रों में अच्छा करेंगे। अपनी प्रतिभा साबित करेंगे। हमारा नारा होना चाहिए, राष्ट्रपति का बेटा हो या भंगी की संतान, सबको शिक्षा एक समान! मांझी ने कहा कि यह दुख की बात है कि वामपंथी दलों के लोग भी कॉमन स्कूलिंग सिस्टम की बात नहीं करते हैं। दुनिया के कई देशों में शिक्षा सरकार की जिम्मेदारी है।

मांझी ने कहा आरक्षण खत्म किया जा रहा है। संविधान को कमजोर किया जा रहा है। अगर संविधान नहीं होता तो मेरे जैसा गरीब परिवार का व्यक्ति विधायक नहीं बनाता। लेकिन यह भी सच है कि मैं मुख्यमंत्री अपनी ताकत से नहीं बल्कि परिस्थितिवश बना था। अगर अपनी ताकत पर आगे बढ़ना है तो, हमें दो वोट का अधिकार हासिल करना होगा। बाबा साहब आंबेडकर ने ‘सेपरेट इलेक्टोरल’ की मांग इसी वजह से की थी। लेकिन महात्मा गांधी की ज़िंदगी का हवाला देकर उन्हें इस मांग से पीछे हटने को मजबूर किया गया। जिसकी परिणति पुणा पैक्ट के रूप में हुई।

बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा आज सबसे ज्यादा संविधान का विरोध हो रहा है। संविधान को कमजोर किया जा रहा है। अगर संविधान नहीं होता तो मैं विधानसभा का अध्यक्ष और जीतनराम मांझी मुख्यमंत्री नहीं होते। उन्होंने कहा , मैकू राम ने पढ़े- लिखे और नौकरीपेशा लोगों को एक मंच पर एकजुट किया था। आज पढे- लिखे और नौकरीपेशा लोगों को संविधान की रक्षा में आगे आना होगा।

बिहार विधान परिषद के उपसभापति डा रामचंद्र पूर्वे ने कहा, राजनीतिक लोकतंत्र ज़रूरी है , लेकिन उससे भी अधिक जरूरी सामाजिक लोकतंत्र है। सामाजिक लोकतंत्र हासिल करने के लिए शैक्षणिक और आर्थिक रूप से मजबूत होना होगा। पढ़ें लिखे लोगों को अपने समाज को भी अपनी ओर से देना होगा। आपके अगल‌-बगल‌ में कोई अशिक्षित न रहे ,इसके बारे में भी सोचना होगा।
समारोह को पूर्व आइपीएस अफसर अशोक गुप्ता, मैकू राम के छोटे भाई और झारखंड के अपर पुलिस महानिदेशक रहे आरसी कैथल, बिहार के गृह सचिव रहे जियालाल आर्य, देवेंद्र रजक , विश्वनाथ चौधरी और राजेंद्र प्रसाद समेत अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। मंच संचालन प्रह्लाद बैठा और धन्यवाद ज्ञापन अधीक्षण अभियंता विनोद चौधरी ने किया।