नालंदा: सम्पूर्ण पोषण के लिए शिशुओं को दें ऊपरी आहार

नालंदा

-स्तनपान के साथ ऊपरी आहार से होगा शारीरिक एवं मानसिक विकास
-छह माह के बाद शिशुओं के लिए पूरक आहार अनिवार्य

Biharsharif/Avinash pandey: कोरोनावायरस के संक्रामक दौर ने सभी को पोषण और मजबूत प्रतिरोधक क्षमता का महत्त्व समझाया है । ऐसे में नवजात एवं छोटे बच्चों का पोषण बहुत जरूरी होता है। जिससे वह कोरोना सहित किसी भी प्रकार के संक्रमण से लड़ने में सक्षम हो। कुपोषण से कई गंभीर रोगों जैसे एनीमिया , बौनापन, अल्पवजन आदि का सामना शिशुओं को करना पड़ सकता है और प्रारंभिक शारीरिक एवं मानसिक विकास की गति धीमी पड़ जाती है। इसका सीधा असर बच्चों के भविष्य पर पड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में 45% बच्चों की मृत्य का कारण उनका कुपोषित होना है। बाल कुपोषण की रोकथाम के लिए 6 माह तक सिर्फ स्तनपान, एवं उसके बाद शिशुओं के लिए पूरक आहार की अनिवार्यता बढ़ जाती है, ताकि बच्चा कुपोषित नहीं रहे।

स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार की आवश्यकता क्यों
जिला कार्यक्रम प्रबंधक (आई.सी.डी.एस) रीना कुमारी ने बताया शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध नवजात शिशु के लिए पहला सर्वोतम आहार है। इसमें कई संक्रमण-रोधी तत्त्व मौजूद होते हैं। यह गाढ़ा दूध जिसे कॉलोस्ट्रम कहा जाता है, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कई प्रकार के रोगों से बचाने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम होता है। शिशु के जीवन के प्रथम 2 वर्ष और उस अवधि में शिशु को मिलने वाला पोषण उसके सम्पूर्ण विकास में महत्वपूर्ण होते हैं । 6 माह से ऊपर के बढ़ते शिशुओं को उनके बढ़ते उम्र के हिसाब से कैलोरी की जरूरत होती है। इसलिए घर में बने साधारण भोजन को दिन में 5 से 6 बार थोड़ा-थोड़ा कर के खिलाएं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार छह माह की आयु के बाद से बढ़ते हुए शिशु की बढती हुई आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पूरक आहार अत्यंत जरूरी होता है। छह माह के बाद केवल स्तनपान करने से जरूरी पोषक तत्वों की आपूर्ति नहीं हो पाती एवं अतिरिक्त ऊर्जा, प्रोटीन एवं पोषक तत्वों के लिए पूरक आहार का सेवन जरूरी हो जाता है। अनुपूरक आहार के साथ लगभग 2 साल तक स्तनपान भी जारी रखना चाहिए।

कैसा हो शिशुओं का पोषाहार व अनुपूरक आहार
भोजन में दलिया, चावल,रोटी ,दाल, घी, दूध, तेल गुड, सूजी ,अंडा, मछली, मौसमी फल ,हरी पत्तेदार सब्जियाँ आदि शामिल करें। छोटे बच्चों के लिए इन की कम-कम मात्राएं लेकर अच्छी तरह से मसल कर खिलाना जरूरी है। जिससे बढ़ते उम्र के साथ हो रहा विकास पोषण के अभाव में बाधित ना हो। 6 माह तक के शिशुओं को प्रत्येक भोजन में 2 से 3 चम्मच, 6 से 9 माह तक के शिशुओं को प्रत्येक भोजन में लगभग आधा कटोरी, 9 से 12 माह तक के शिशुओं को कम से कम पौन कटोरी एवं 12 से 23 माह तक के बच्चों को प्रत्येक भोजन में कम से कम एक कटोरी पूरक आहार देनी चाहिए।

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