चंपारण : गर्भावस्था में टीबी का होना हो सकता है खतरनाक : सीएस

मोतिहारी

-कहा लक्षणों को न करें नजरअंदाज, समय पर जांच व इलाज जरूरी, पौष्टिक भोजन के साथ दवाओं से मिलेगी अच्छी सेहत

Motihari/Rajan Dwivedi : गर्भावस्था के सुखद एहसास के लिए गर्भवती महिलाओं को हरसमय सतर्क होकर खुद का ध्यान रखना चाहिए। सुरक्षित प्रसव के लिए गर्भवती को समय पर सभी आवश्यक जाँच चिकित्सकों की निगरानी में करानी चाहिए तथा पोषण युक्त संतुलित भोजन ग्रहण करना चाहिए। सुरक्षित प्रसव के लिए स्वस्थ शरीर का होना बेहद जरूरी है। सीएस डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि प्रायः यह देखा जाता है कि मजदूरी करने वाली व कामकाजी गर्भवती महिलाएं शरीर पर ध्यान नहीं रखतीं हैं। उनका टीबी के मरीजों के सम्पर्क में होने से उनमें टीबी के संक्रमण का खतरा बना रहता है।

ऐसे में गर्भावस्था में टीबी का होना खतरनाक हो सकता है। दो हफ्तों से ज्यादा समय तक खाँसी, बुखार, बलगम में खून आना तथा गर्दन की ग्रंथियों में सूजन व दर्द रहना जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें, समय पर जाँच व इलाज जरूरी है। डॉ रंजीत राय ने बताया कि टीबी एक गंभीर बीमारी है। इसके शुरूआती लक्षणों को भूल कर भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि टयूबरक्लोसिस नामक एक जीवाणु के कारण टीबी होता है। टीबी विश्व की सबसे बड़ी जानलेवा बीमारियों में से एक है। इसके लक्षण दिखने पर तुरंत सरकारी अस्पताल में जांच कराएं। गर्भावस्था में टीबी के लक्षणों को छुपाना खतरनाक हो सकता है।

टीबी संक्रमित व्यक्ति का समय पर सही इलाज होना आवश्यक है। मुख्य तौर पर फेफड़ों में टीबी का संक्रमण ज्यादा गंभीर होता है। टीबी से बचने के लिए गर्भवती महिलाएं प्रोटीन तथा विटामिन से भरपूर भोज्य पदार्थ जैसे रोटी, पनीर, दही, दूध, फल, हरी सब्जी, दाल, अंडा, मछली का सेवन करें। सही इलाज व दवाओं के सेवन से गर्भवती महिला व शिशु को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। इलाजरत होने पर दवा को बीच में नहीं छोड़ा जाना चाहिए अन्यथा यह गंभीर हो जाता है।

डा. राय ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में टीबी खतरनाक है। गर्भावस्था में टीबी का इलाज जटिल होता है, लेकिन इसका इलाज नहीं किये जाने पर यह गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक होता है। गर्भावस्था में स्कीन टेस्ट तथा टीबी ब्लड टेस्ट दोनों सुरक्षित है । इसके अलावा बलगम की जांच और फेफड़ों का एक्सरे किया जाता है। गर्भवती महिलाओं में टीबी का सही समय पर पता चल जाने से इलाज संभव है। गर्भवती के टीबी का इलाज नहीं होने से शिशु को भी टीबी की संभावना रहती है।