-भाजपा बताए महिलाओं-दलितों को समाज में दोयम दर्जे का स्थान देने वाली चौपाइयों से प्रेम क्यों?
-जीभ काटने वालों को इनाम देने जैसे वक्तव्यों के जरिए भाजपा उन्माद फैलाने की कर रही साजिश
स्टेट डेस्क/पटना : भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि कोई भी ग्रंथ आलोचना से परे नहीं है. मनुस्मृति को तो डाॅ. भीमराव अंबेडकर ही खारिज कर चुके हैं, जो हिंदू धर्म में जाति व्यवस्था को सैद्धांतिक स्तर पर सही ठहराता हैै. और ‘बंच आफ थॉट’ तो आरएसएस के ब्राह्मणवादी माॅडल का ही दस्तावेज है.
जहां तक रामचरित मानस की बात है, उसके कई उद्धरण घोर महिला व शूद्र विरोधी हैं. ऐसे उद्धरण समाज में दलितों व महिलाओं की दोयम दर्जे की स्थिति को स्थापित करता है, जो आधुनिक मानदंडों के बिलकुल खिलाफ है. क्या इन चौपाइयों से महिलाओं, दलितों व समाज के कमजोर वर्गों की भावना आहत नहीं होती?
उन्होंने आगे कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री की जीभ काटने वालों को 10 करोड़ का इनाम देने जैसी हिंसक व उन्मादी बातें एक बार फिर शुरू हो गई हैं. भाजपाइयों का यही चरित्र है. वे किसी भी प्रकार की आलोचना नहीं सुन सकते. इस तरह का वक्तव्य देकर भाजपाई महिलाओं व दलितों के खिलाफ अपने चरम नफरत का इजहार कर रहे हैं.