-डॉ संतोष कुमार के समर्थन में आए इंडियन साइकिएट्रिक सोसाइटी और पाटलिपुत्र साइकिएट्रिक सोसाइटी
फुलवारी शरीफ,अजीत। पटना के पूर्व वरीय उप समाहर्ता सूरज कुमार सिन्हा के 16 वर्षीय बेटे को आयुष कुमार को नशे की लत छुड़ाने के लिए फुलवारी शरीफ के मौर्य बिहार स्थित मानस अस्पताल में इलाज के दौरान हुई मौत के मामले में पुलिस को उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार है । उधर , नालंदा मेडिकल कॉलेज, पटना के नशा मुक्ति केंद्र के नोडल ऑफिसर और मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ संतोष कुमार के बारे में मीडिया में प्रकाशित खबरों का इंडियन साइकिएट्रिक सोसाइटी और पाटलिपुत्रा साइकिएट्रिक सोसाइटी ने संयुक्त रूप से खंडन किया है। दोनों सोसाइटी ने उनपर लगे मारपीट और लापरवाही की खबर को अपुष्ट और निराधार बताया। साथ ही उन्होंने इस घटनाक्रम को लेकर वास्तविक स्थित से अवगत कराया और सरकार से इस मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच के बाद किसी कार्रवाई के लिए निर्णय लेने का आग्रह किया।
वहीं दूसरी तरफ थाना पुलिस ने मृतक आयुष कुमार के पिता और बड़े अधिकारी सूरज कुमार सिन्हा के आवेदन पर बेटे की हत्या का आरोप लगाए जाने की गहन छानबीन शुरू कर दी है। फुलवारी शरीफ थाना अध्यक्ष शफिर आलम का कहना है कि मानस अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरा को घंटों खंगाला गया। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी कैमरा कहीं ऐसा कुछ नहीं मिला है जिसमें आयुष के साथ पिटाई का कुछ आतापता चल सके। मतलब सीसीटीवी कैमरे खंगालने में पुलिस को कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है। यहां गौर करने वाली बात है कि मृतक आयुष ने अपने पिता सूरज कुमार सिन्हा को मुलाकात के दौरान यह बताया था कि सीसीटीवी कैमरा बंद करके उसकी पिटाई की जाती है।
इस मामले पर थानाध्यक्ष ने बताया कि इसकी भी जांच की जा रही है लेकिन सीसीटीवी बंद करने का कोई प्रमाण भी अभी तक नहीं मिल पाया है । इसके अलावा हर पहलू पर मामले की तहकीकात की जा रही है और जल्द ही पूरे मामले का खुलासा कर दिया जाएगा । वहीं पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी इंतजार है। इधर फुलवारी के भाकपा माले विधायक गोपाल रविदास ने बिहार सरकार से मांग की है कि पिछले दिनों पटना के आयुक्त कार्यालय में कार्यरत पूर्व वरिए समाहर्ता सूरज कुमार सिन्हा के बड़े बेटे आयुष कुमार की फुलवारी शरीफ के मानस अस्पताल में नशे की लत छुड़ाने के इलाज के दौरान कथित रूप से पिटाई किए जाने के चलते मौत को लेकर सरकार से उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।
रविदास ने अपने बयान में कहा है कि इस घटना की राज्य सरकार गंभीरता से जांच करावे और मानस हॉस्पिटल के डॉक्टर व स्टॉप समेत अन्य की संलिप्तता की जांच कराकर कड़ी से कड़ी सजा दे। उधर पाटलिपुत्रा साइकिएट्रिक सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ पंकज कुमार, सचिव डॉ राकेश कुमार और इंडियन साइकिएट्रिक सोसाइटी ईस्ट्रनल जोनल ब्रांच के सचिव अमित पट्टोजोशी और डॉ विनय कुमार ने संयुक्त रुप से पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि साइकिएट्रिक सोसाइटी डॉ संतोष कुमार के बारे में छपी भ्रामक ख़बरों का खंडन करता है। वे एक बेहतरीन मानसिक रोग विशेषज्ञ हैं और अपने कार्य को पूरी निष्ठा से करते रहे हैं।
उनकी कर्त्तव्य परायणता, कार्य कुशलता और क्षमता पर संदेह करना उचित नहीं है। सोसाइटी ने इस घटना की वास्तविक घटनाक्रम की व्याख्या करते हुए कहा कि विगत 22 दिसंबर 2022 को आयुष कुमार को डॉ संतोष कुमार के अन्तर्गत इलाज के लिए उनके पिता द्वारा भर्ती किया गया था। आयुष मानसिक रूप से बहुत अस्वस्थ थे और कई प्रकार के नशे जैसे , गांजा, कोरेक्स, और नशायुक्त गोलियों के लंबे समय से आदि थे। उनकी मानसिक बीमारियों में व्यवहार संबंधित समस्या जैसे अत्यधिक क्रोध करना, गली गलौज करना, परिवार में मार पीट करना, अत्यधिक नशा करना इत्यादि शामिल था। परिवार के लिए उनको संभलना कठिन हो रहा था, जिसके चलते उन्होंने आयुष को इलाज कराने के लिए भर्ती किया। उन्होंने कहा कि हम डॉक्टर संतोष कुमार द्वारा बताए गए तथ्यों के आधार पर यह कहना चाहते हैं कि मरीज की मौत मारपीट जैसी वजह से नहीं हुई है।
आयुष कई वर्षों से बीमार और नशे की लत के आदि थे जिसकी वजह से पहले भी दिल्ली के किसी नशामुक्ति संस्थान में भर्ती रहे थे। मानस अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनकी हालत में सुधार हो रहा था और वह पहले से काफ़ी बेहतर महसूस कर रहे थे। इसी बीच दिनांक 12 जनवरी 2023 को तक़रीबन 3 बजे उनको उल्टियाँ होने लगीं और उन्हें साँस लेने में कुछ तकलीफ़ महसूस हुई तो उन्हें तत्काल ही प्राथमिक उपचार के लिए पास के अस्पताल में ले जाया गया और उनके पिता और परिवार जन को खबर कर दी गई।
हालत में सुधार न आ पाने की सूरत में उन्हें अतिशीघ्र बेहतर उपचार के लिए एम्स पटना ले जiया गया और वहाँ डॉक्टर्स ने पूरी तात्परता से उनका हर संभव इलाज कर उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की। उन्हें वेंटिलेटर पर रख कर स्टेबलाइज़ करने की कोशिश की पर अथक प्रयासों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। इस क्रम में उनक पिता द्वारा लगाया गया मारपीट का आरोप बेबुनियाद और निराधार है, क्योंकि ये समस्त घटनाक्रम अस्पताल में लगे सीसीटीवी में दर्ज है और किसी भी तरह की मारपीट या लापरवाही की पुष्टि नहीं करते हैं।