यूपीसीए के निदेशकों की ओर से की जा रही जीएसटी चोरी कि शिकायत एक बार फिर

कानपुर

Bhupendra Singh : उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों का निदेशकों पर जीएसटी चोरी करने की शिकायत एक बार फिर से मुख्यमंत्री पोर्टल के साथ ही बीसीसीआई अध्यक्ष और सचिव से की गई है। यही नहीं शिकायतकर्ता ने केंद्र व राज्य सरकार की जीएसटी गवर्निंग काउंसिल से निदेशकों और उसमें संलिप्त पदाधिकारियों को बर्खास्त करने की गुजारिश भी की है। इसके साथ ही प्रतियोगिता के नाम में खिलाड़ियों के पंजीकरण के नाम पर रुपयों की वसूली करने और जीएसटी विभाग से छिपाने कि शिकायत एक बार फिर से विभाग में दर्ज कराई गई है। इससे पहले दिसंबर में भी जीएसटी चोरी का मामला विभाग में दर्ज कराया गया था जिसका मुकदमा विचाराधीन है।

इस बार कुछ क्रिकेट समर्थकों ने जीएसटी विभाग के साथ ही मुख्युमन्त्री के पोर्टल में भी कर दी है। जिससे यूपीसीए की मुसीबतें बढ भी सकती है। जीएसटी लागू किए जाने के बाद से यह पहला मामला नही है कि संघ के खिलाफ शिकायत दर्ज करवायी गयी हो इससे पूर्व भी शिकायतें दर्ज करवायी जा चुकी और महाप्रबन्धक स्तर के अधिकारियों से पूछताछ के बाद उसकी भरपायी भी करवा दी गयी है। यही नहीं उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने प्रदेश के सभी जिला संघों को अपना लोगो भी उपयोग व प्रयोग न करने की सख्त हिदायत दी है।

मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत कर्ताओं ने जीएसटी हेराफेरी करने के सभी आंकड़ों को दर्शाया है जिससे यह मामला और भी गंभीर दिखाई देने लगा है।उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) जो की जीएसटी कानपुर में रजिस्टर्ड संस्था है यूपीसीए के खाते का कुछ अधिकारियों ने 1 अप्रैल 2022 से 30 सितंबर 2022 का इंटरनल ऑडिट कराया गया था जिसकी रिपोर्ट में आया की यूपीसीए के डायरेक्टरों के द्वारा बड़े पैमाने पर चोरी की जा रही है “रिटर्न की जांच करते समय जीएसटी रिटर्न और पुस्तकों के संबंध में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया गया है:

अप्रैल: पुस्तकों में दिखाई गई ब्याज आय रु.60.778/- है और GSTR में 1/3B है रु.45,59,781.00 पुस्तकों में दिखाई गई ब्याज आय रु. 1.00,965/- और GSTR 1 और 3Bis में

मई:1.03.872/ इस महीने में GSTR 1 और 3B और किताबों का आपस में मिलान नहीं किया जाता है जावक कर योग्य आपूर्ति
GSTR-1 में रु.1.21.01.400.00 GSTR-3B में रु. 6,83,51,400.00 और में पुस्तकें रु.1,400.00 GSTR-1 और 38 में ब्याज आय 6,13,771.00 है और पुस्तकों में ब्याज आय 5.51.285.00 रुपये है”

अनुरोध है की यूपीसीए एवं उनके सभी डायरेक्टरों से जीएसटी की वसूली की जाए और इन सब के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए । गौरतलब है कि प्रदेश संघ कहीं-कहीं पर जिला संघ खिलाड़ियों से 400 से ₹500 भी वसूल रहे हैं जबकि यूपीसीए ने जिला संघों को ₹300 प्रति व्यक्ति वसूलने के लिए लिखित रूप से निर्देशित किया है। बताते चलें उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से सम्बद्ध विभिन्न जिलों में सत्र 2022- 23 के लिए खिलाडियों की पंजीकरण प्रक्रिया हेतु जिला संघ के अध्यक्ष एवं सचिवों से अनुरोध किया गया था कि अपने जिलों से सम्बन्धित पंजीकरण फॉर्म का मुद्रण स्वयं करवाये ये बात अलग है कि संघ ने फॉर्म का सैम्पल सभी जिला संघों को भेज दिया था।

यूपीसीए के महाप्रबन्धक विनीत गुप्ता ने जीएसटी विभाग के अधिकारियों को गुमराह करने का भी काम किया है जिसकी शिकायत भी विभाग में दर्ज करवायी गयी है। गौरतलब है कि अगर खिलाडियों का पंजीकरण शुल्क 300 रुपए है और बीसीसीआई से पैसा आ रहा है तो पंजीकरण शुल्क को कहां भेजा जाएगा। साफ तौर पर प्रदेश संघ जिले से पैसे तो लेगा लेकिन वह जीएसटी जमा करने से वंचित भी रहेगा इससे प्रदेश सरकार को लाखों का नुकसान होना तय है। यूपीसीए के एक पदाधिकारी ने बताया कि प्रदेश के कई छोटे जिलों में खिलाडियों के पंजीकरण के नाम पर 4 से 5 सौ रुपए वसूले जाने की बात नगर के खिलाडियों के पास भी आयी है।

फतेहपुर , हमीरपुर और सहारनपुर, बरेली आदि जिला संघ खिलाडियों से अधिक रुपए ले रहे हैं अगर ऐसा है तो सरकार को जीएसटी का नुकसान तय है। इससे भी अलग यह बात है कि निदेशकों की ओर से जीएसटी चोरी की जा रही है जो शासन को आर्थिक चोट पहुंचाने का काम कर रहे हैं। जीएसटी गवर्निंग काउंसिल को चाहिए कि पारदर्शी तरीके से संघ के सभी निदेशकों की और उसमें संलिप्त पदाधिकारियों की जांच हो और कोई भी दोषी पाया जाए उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए।