Rabindra Nath Bhaiya: नगर के गोवर्धन मंदिर में चल रहे श्री हरिहर महायज्ञ के तीसरे दिन अयोध्या के सुविख्यात कथा वाचक आचार्य राधेश्याम शास्त्री ने सुमधुर भगवत् भजन से तीन घण्टे तक श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। उनके प्रवचन में धर्मात्मा और पुण्यआत्मा की सूक्ष्म विवेचना की गई जिसमें ग्रंथों के महापुरुषों का उदाहरण देकर समझाया गया। उन्होंने कहा कि रावण, कंस, दुर्योधन प्रतापभानु आदि पुण्यात्मा तो थे किन्तु धर्मात्मा नहीं हो सके जबकि दशरथ, नन्द- यशोदा, देवकी वासुदेव भीष्म, विदुर आदि धर्मात्मा हो गए।
आत्मा परमात्मा और समर्पण को परिभाषित करते हुए उन्होंने भीष्म पितामह, श्री कृष्ण और पांडवों की कई दिलचस्प प्रसंग से परिचित कराया जिसे सुनकर श्रोताओं में ज्ञान की गंगा प्रवाहित होती रही। परमपूज्य लक्ष्मण किलाधीश महन्थ मैथली रमण शरण जी महाराज ने भी मंच से लोगों को आशीर्वाद दिया और आचार्य राधेश्याम शास्त्री के सुमधुर कण्ठ और कथा पटुता की प्रशंसा की।
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