Kanpur : कारपोरेट मन्त्रालय के साथ ही कोर्ट औेर बोर्ड को धोखे में रखने से बाज नही आ रहा यूपीसीए

कानपुर

Bhupendra Singh : उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन कोर्ट और भारतीय क्रिकेट कन्ट्रोल बोर्ड के सा‍थ ही कारपोरेट मन्त्रालय को धोखा देने से बाज नही आ रहा। यही नही एसोसिएशन लोढ़ा समिति की सिफारिशों को ठेंगे पर रख रही है। संघ के कुछ अडियल पदाधिकारियों के खिलाफ अनियमितताएं बरतने की शिकायत बोर्ड में एक बार फिर से की गयी है।कोर्ट के साथ ही कारपोरेट मन्त्रालय में केवल आधा दर्जन निदेशकों का पंजीकरण दिखाया गया है जबकि इनकी संख्या अब बढकर एक दर्जन से भी अधिक हो गयी है। असंवैधानिक तरीके से समानान्तर निदेशक मण्डल कमेटी के साथ ही समानान्तर एपेक्स कमेटी को चलाने की भी शिकायत दर्ज करायी गयी है।

शिकायत में बताया गया है कि यूपीसीए ने कारपोरट मन्त्रालय के साथ ही कोर्ट और बोर्ड में 6 निदेशकों की कमेटी दिखायी है जबकि इस बार की एजीएम में उनकी संख्या बढकर 12 हो चुकी है जबकि कम्पनी एक्ट में यूपीसीए में केवल 5 बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स समेत कुल 9 सदस्य रह सकते हैं। यूपीसीए ने बोर्ड के साथ ही कारपोरेट मन्त्रालय औेर कोर्ट मे लिखित रूप से केवल 6 निदेशको का पंजीकरण का हलफनामा पेश किया है। यही नही यूपीसीए के खिलाफ हाईकोर्ट में मामले लंबित चल रहे हैं लेकिन उनको भी दरकिनार कर वह होटलों में बडे स्तर पर आयोजन भी करता ही जा रहा है। यूपीसीए के सभी सदस्यों के साथ होटलों में मनोरंजन करते नजर आ रहे है।

शिकायत कर्ता ने बीसीसीआई को यह भी बताया है कि संघ नियमों का पालन सही तरीके से करने में कोताही बरत रहा है। गौरतलब है कि लोढा समिति की सिफारिशों को न मानने की जिद पर भी यूपीसीए मानो अडा ही है तभी वह संवैधानिक तरीके से संघ को संचालित मनमाने ढंग से करवा रहा है।अभी हाल ही में संघ ने चुपके से ही मुख्य विकेट निर्माणकर्ता की सीधी भर्ती कर दी जिसके लिए एपेक्स कमेटी के सदस्यो की राय तक नही ली गयी।इससे भी अलग यह है कि लाइफ मेम्बर्स संघ को पूरी तरह से अपने कब्जे में करे हुए हैं। लोढा समिति की सिफारिशों की माने तो बीसीसीआई से संबंधित कोई भी क्रिकेट एसोसिएशन का सदस्य 70 साल से ऊपर नहीं होना चाहिए।

यही नहीं कई निदेशकों को लाभ के पद पर भी नियुक्त करने में संघ के कई सदस्य पीछे नहीं हट रहे हैं जबकि समिति की सिफारिशों में यह स्पष्ट रूप से अंकित है कि एक व्यक्ति के पास केवल एक ही पद निर्धारित रह सकता है। यूपीसीए के सभी पदाधिकारी भी ऐसे मामलों में बिल्कुल चुप्पी साधे हुए है वह किसी भी मसले में बोलने को तैयार ही नही है। भारतीय क्रिकेट को नियमितताओं के तहत चलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से साल 2017 में लागू की गयी लोढा समिति की सिफारिशें प्रदेश के संघ के सदस्यों ने मजाक बना कर रख दिया है।

संघ के सदस्यों को सिफारिशें न मानने पर जुर्माना और सजा पाए जाने का खौफ भी शायद ही हो और ऐसा इसलिए भी संभव है कि हाईकमान के तार न्यायिक प्रक्रिया से ताल्लुक रखने वाले सदस्यों से जुडे हुए हो। अब प्रदेश का संघ ही उनकी सिफारिशों को पूरी तरह से मानने को तैयार दिखायी नही दे रहा जबकि कागजों पर वह पूरी तरह से अमल करने का दम भर रहा है। प्रदेश के क्रिकेट संघ के भीतर चल रहे घमासान से बातें निकलकर सामने आ रही है कि एपेक्स कमेटी की बैठकों के बिना ही क्रिकेट से जुडे आयोजनों को संचालित किया जा रहा है जबकि लोढा समिति की सिफारिशों में साफ तौर पर इंगित है कि मैच या फिर एजीएम और क्रिकेट से जुडी गतिविधियों का संचालन केवल एपेक्स कमेटी के सदस्यों के अंतिम मुहर के बाद ही किया जा सकता है। यूपीसीए के एक पदाधिकारी ने बताया कि संघ के लिए ये समय चुनौती भरा है कोर्ट, कारपोरेट मन्त्रालय के साथ ही बोर्ड में सभी निदेशकों का पंजीकरण दिखाना चाहिए जिससे पारदर्शिता बनी रही।

घोषित निदेशक मण्‍डल युद्धवीर सिंह
अभिषेक सिंघानिया
रियासत अली
ताहिर हसन
अशोक चतुर्वेदी
प्रेम मनोहर गुप्ता
प्रदीप कुमार गुप्ता
श्याम बाबू
जावेद अख्तर
विजय गुप्ता
गजेंद्र नाथ तिवारी

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