कहा-मोटे अनाज हमारी विरासत की पहचान है। मानव के सेहत के लिए मोटे अनाज का सेवन लाभकारी है।
Vikrant : बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा.डी.आर.सिंह ने कहा कि मोटे अनाज हमारी विरासत की पहचान है। मोटे अनाज रूपी पुरानी विरासत को वापस लाने की दिशा में विश्वविद्यालय स्तर पर कृषि कार्य में तेजी लाई जाएगी। यह बातें कुलपति ने बात-चीत के दौरान कही। कुलपति नें कहा कि मोटे अनाज में मीनरल व विटामीन जैसे तत्व पाए जाते है। मानव शरीर के स्वास्थ को ठीक रखने में सीधे सहायक साबित होता है। इसमें कई पोषक तत्व पाए जाते है।
कुलपति डा.डी.आर.सिंह ने कहा कि विश्व मिलेट वर्ष को विश्वविद्यालय ने अवसर के रूप में अपनाए जाने का संकल्प लिया है। मोटे अनाज में यथा मक्का, ज्वार, मड़ुआ, कोदो एवं रागी आदि की नई किस्मों को विकसित करने की कवायद शुरू हो चुकी है। कुलपति डा.सिंह ने किसानों से मोटे अनाज के उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाए जाने की अपील करते हुए कहा कि पोषण के लिए पुरानी विरासत को वापस लाने की जरूरत है।
पोषक तत्व वाले अनाज के उत्पादन पर सरकार ने भी जोर दिया है। आगे, कुलपति डा.सिंह ने कहा कि समय के बदलते पहिए के बीच सूबे के किसान मोटे अनाज का उत्पादन करना भूल सा गए है। उन्होनें कहा कि मोटे अनाज के उत्पादन व उत्पदकता के आलावे नई किस्में विकसित करने के लिए विज्ञानियों की टीम तक गठित हो चुकी है। विश्वविद्यालय द्वारा मोटे अनाज से खाद्य प्रसंस्करण के तहत छोटे स्तर पर नया उत्पादन बनाने की तकनिकी किसानों के बीच उपलब्ध कराए जाने की योजना है।