Rabindra Nath Bhaiya: कमजोर वाटर लेवल और कम वर्षापात में जिला सबसे क्रिटिकल जोन में आता है और यहां हर साल पेयजल संकट गहराता है। गर्मी की शुरुआत के साथ ही चापाकल खराब होने शुरू हो गए हैं। जिले में हजारों कल खराब है और इनसे पानी गिरना बंद हो गया है। गांव देहात तो छोड़िए शहर के चौक चौराहों पर लगे चापाकल खराब पड़े हैं। दर्जनों स्कूलों में भी चापाकल बंद है। जिले में पीएचईडी के 22000 चापाकल सहित 31 हजार से अधिक चापाकल है लेकिन इनमें से 4000 से अधिक चापाकल बंद पड़े हैं। जिले में 22 हजार से अधिक चापाकल पीएचईडी के अधीन है।
इनमें से करीब 4 हजार चापाकल खराब है। ऐसे में गर्मी के दिनों में लोगों को पीने के पानी की समस्या नहीं हो इसके लिए पीएचईडी द्वारा अभियान चलाकर पूरे जिले में खराब पड़े चापाकलों को मरम्मत कराएगा। खराब पड़े चापाकलो की वस्तुस्थिति जानने के लिए सर्वे हो रहा है। अब तक 3500 खराब चापाकलों की सूची विभाग को प्राप्त हुई है। गर्मी के दिनों वाटर लेवल कम होगा तो खराब चापाकलों की संख्या और बढ़ेगी। इस बार स्थिति ज्यादा भयावह होने वाली है। हर साल करीब डेढ़ से दो हजार चापाकल खराब होते थे। इस बार यह आंकड़ा लगभग दुगना हो गया है। ऐसा कम वर्षापात के कारण हुआ है।
कुल 31 हजार से अधिक सरकारी चापाकल:-
आंकड़े के अनुसार जिला में विभिन्न मदों से लगाए गए कुल 31 हजार सरकारी चापाकल है। इनमें से 22028 चापाकल पीएचडी द्वारा लगाए गए हैं जबकि बाकी के चापाकल विधायक निधि सहित अन्य योजनाओं से स्थापित हुए हैं। इनमें से करीब 4000 चापाकल खराब है। 1000 कल अस्थाई रूप से खराब हो गए हैं जबकि करीब 3000 चापाकल ऐसे हैं जो मामूली खराबी या पाइप वगैरह के अभाव में बंद है। इन चापाकलो की रिपेयरिंग शुरू की जाएगी। इसके लिए जिला स्तर और प्रखंड स्तर पर टीमें बनाई जाएगी। इसके अलावा गर्मी के दिनों में खराब चापाकल की शिकायत सुनने के लिए कंट्रोल रूम स्थापित किया जाएगा।
जलस्तर गिरने पर चापाकल तेजी से होंगे खराब:-
दरअसल इस बार जिले में औसत से अधिक बारिश हुई है और जिला सुखाड झेल रहा है। जून, जुलाई और अगस्त में तो बेहद कम बारिश हुई। इसका असर अप्रैल-मई में दिखेगा। कम बारिश होने के चलते वाटर रिचार्ज भी कम हुआ है। ऐसे में जलस्तर का गिरना स्वभाविक है। जलस्तर गिरने पर चापाकल तेजी से खराब होंगे। यही हो भी रहा है। हर पंचायत में दर्जनों चापाकल खराब हो चुके हैं। इसके अलावा नल जल योजना के बोरिंग भी प्रभावित होने लगे हैं। कई जगह पानी छोड़ने और कम पानी देने की समस्या आने लगी है। जिले में हरेक साल गर्मी को देखते हुए पंचायत वार चापाकल चलंत मरम्मत दल घुम-घुमकर चापाकलों को ठीक करते हैं। प्रखंड स्तर पर टीम बनाकर जिला से भेजी जाती है। इस साल भी जो योजना बनी है उसके अनुसार अप्रैल से चापाकल चलंत मरम्मत दल प्रखंडों व पंचायतों के लिए घुमेगा।
गर्मी में नहीं होगी पेयजल की समस्या:-
जिले के बंद पड़े चापाकलो का सर्वे हो रहा है। अब तक जिले के 12 प्रखंडों में सर्वे पूरा हो चुका है और बंद पड़े 3500 चापाकलों की सूची बना ली गई है। 2 प्रखंडों से सूची आनी बाकी है। ऐसा लगभग 4000 चापाकल के मरम्मत की आवश्यकता है। गर्मी के दिनों में इस बार पेयजल की समस्या नहीं होने दी जायेगी। इसके लिए तैयारी की जा रही है। कुमार प्रदीप, कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी, नवादा: