Kanpur : खेल विभाग और यूपीसीए के बीच चल रहे बुकिंग के मुददे से खिलाडी मैदान जाने से वंचित

कानपुर

-ग्रीनपार्क का मुख्य मैदान केवल यूपीसीए के लोग ही कर पा रहे प्रयोग

Bhupendra Singh: ग्रीनपार्क के मुख्य मैदान पर क्रिकेट मैच का सपना देख रहे खिलाडियों को बुकिंग न मिलने से निराशा का सामना करना पड रहा है। साधारण क्लब औेर एनजीओ के अलावा भी खेल विभाग किसी बाहरी व्यक्ति को मैदान आरक्षित नही कर रहा है। उत्तर प्रदेश के खेल विभाग और यूपीसीए के बीच ग्रीन पार्क मैदान की बुकिंग का मुद्दा अभी भी ठीक से सुलझ नहीं पाया है। जिसके चलते खेल विभाग यूपीसीए को छोड़ किसी बाहरी व्यक्ति या साधारण व्यक्ति को ग्रीन पार्क के मुख्य मैदान में मैच खेलने की अनुमति प्रदान नहीं कर रहा। यही नहीं इस गंभीर मुद्दे के चलते यूपीसीए की ओर से मैदान को आरक्षित करने की हिम्मत जुटा नहीं पा रहा।

ग्रीन पार्क की बुकिंग ना होने से सरकार को राजस्व का लगभग लाखों का चूना प्रति माह के हिसाब से लग रहा है। वहीं उपनिदेशक स्तर के अधिकारी भी मैदान को आरक्षित करने के लिए केवल यूपीसीए के सहारे बैठे दिखाई देते हैं।आरटीआई में खुलासे के बाद यह पूरी तरह से साफ हो गया था कि ग्रीनपार्क मैदान की बुकिग का अधिकार केवल खेल विभाग के ही पास है जबकि उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ नियमों के विरुद्ध जाकर उसकी बुकिंग अपनी ओर से करने से बाज नही आ रहा था।

बीते कई सालों से इसके लिए शहर ही नही आसपास जिलों के क्रिकेटर व संगठन मैदान बुकिंग करने आते हैं तो वह विभाग और यूपीसीए के कार्यालयों के चक्कर ही लगाते रहते हैं। इसमें खेलने के लिए कई बार संगठनों को तारीख के दिन मैदान ही उपलब्ध नही हो पाता। मैदान बुकिंग को लेकर कई बार मैच आयोजित कराने वाले संगठनों से विवाद भी हो चुका है। हालात तो ये है कि कानपुर क्रिकेट एसोसिएशन को भी यूपीसीए की ओर ही टकटकी लगाकर मैदान की उपलब्धता जानने की विवशता रहती है जबकि खेल विभाग के पूर्व कर्मचारी यूपीसीए की ओर से बिना लिखापढी के ही मैदान बुक करवा देते है।

खेल विभाग और यूपीसीए के बीच हुए एमओयू के मुताबिक साल में 120 दिन अपनी ओर से होने वाले आयोजनों की सूची खेल विभाग को सौंपे जाने की बात है जिसके बाद उसे मैदान की बुकिंग मिलने के लिए साफ तौर पर इंगित है। इसके लिए उसे आवन्टित धनराशि का भुगतान भी करना अनिवार्य होगा। मैदान की बुकिंग खेल विभाग की ओर से नही केवल यूपीसीए के कर्मचारी व पिच क्यूरेटर अपनी शर्तो के आधार पर करवा रहे हैं। यूपीसीए खेल विभाग को इसकी सूचना देता है या फिर मिलीभगत से पैसे कमाने में लगा हुआ है।

इस खेल के चलते खेल विभाग को हर साल लगभग लाखों रूपए का चूना लग जाता है। यह प्रक्रिया बीते 6 सालों से निरन्तर चलती चली आ रही है। अधिकारी भी इस बारे में बोलने से गुरेज कर रहे हैं। अब ग्रीनपार्क में मैच खेलने के लिए लोगों को दिन में 12 हजार तो दिन-रात्रि का लगभग 62 हजार का भुगतान करना पडता है लेकिन मैदान बुक न हो पाने के चलते सरकार को राजस्व की हानि लगातार हो रही है। इस बारे में जब खेल विभाग के अधिकारी से बात की गयी तो उन्होंने इस विषय पर बोलने से ही मना कर दिया।