हेमंत कुमार/पटना : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनके परिजनों से सीबीआइ और ईडी की लगातार चल रही पूछताछ और समन को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नपी-तुली प्रतिक्रिया से जहां कयासों का बाजार गर्म है, लेकिन जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ललन ने ताल ठोक कर भाजपा को ललकारा है। ललन ने ट्वीट किया है,’दमन चाहे जितना कर लें, 2024 में देश भाजपा मुक्त होगा।’
जेडीयू अध्यक्ष ने लिखा है, ‘ नौकरी के बदले जमीन मामले में सीबीआई दो बार जांच कर साक्ष्य नहीं जुटा पाई। लेकिन 9 अगस्त 2022 के बाद अचानक दिव्यशक्ति से उनको साक्ष्य मिलने लग गया और माननीय लालू प्रसाद जी एवं उनके परिजनों के यहां भारी छापेमारी हुई, खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
अरे भाई…! साक्ष्य नहीं भी मिलता तो साक्ष्य दिखाने के लिए पालतू तोतें कुछ भी कर सकते हैं। गाय का सींग भैंस में और भैंस का सींग गाय में जोड़ रहे हैं। अखबार कहता है- ‘एके इंफोसिस्टम के कारण छापा डाला गया है’… जिसका नौकरी से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन खैर पालतू तोतें अपने मालिक का निर्देश पाकर कुछ भी कर सकते हैं, अघोषित आपातकाल जो है। गर्भवती महिला और छोटे-छोटे बच्चों के साथ इस तरह का निर्मम आचरण देश में पहली बार हुआ है, देश इसको याद रखेगा। दमन चाहे जितना कर लें, 2024 में देश भाजपा मुक्त होगा।’
नीतीश की नपी-तुली प्रतिक्रिया से चर्चा का बाजार गर्म
लालू परिवार पर सीबीआइ और ईडी की कार्रवाई को लेकर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने जितनी तीखी प्रतिक्रिया दी है और लालू परिवार के पक्ष में तनकर खड़े दिख रहे हैं,ठीक वैसी ही प्रतिक्रिया नीतीश से अपेक्षित थी, लेकिन ऐसा नहीं दिख रहा है। एक तो इस प्रकरण में नीतीश की प्रतिक्रिया बहुत देर से आयी है दूसरे बहुत ठंडी भी आयी है। नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू और उनकी पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से पटना और दिल्ली में 6 और 7 मार्च को सीबीआइ ने पूछताछ की।
पहले पटना में राबड़ी से और दूसरे दिन लालू से दिल्ली में पूछताछ हुई। कहां गया कि दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में 15 मार्च को होने वाली सुनवाई से पहले सीबीआइ कुछ और तथ्य जुटाना चाह रही है। सीबीआई को कौन – सा तथ्य मिला, इसका खुलासा नहीं किया गया है।
होली समाप्त होते ही 10 मार्च को लालू की तीन बेटियों – हेमा , चंदा और रागिनी और छोटे बेटे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से ईडी ने शुक्रवार को लंबी पूछताछ की। शनिवार को सीबीआइ ने तेजस्वी को समन भेज कर मुख्यालय आने को कहा। लेकिन तेजस्वी ने पत्नी की तबीयत खराब होने के कारण सीबीआइ मुख्यालय जाने से मना कर दिया।
लालू परिवार पर चौतरफा हमले के बीच पांच दिनों बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को पहली प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि रेड आज से हो रही, ये तो पांच साल से चल ही रही है। हम लोग (महागठबंधन) सरकार बनाते हैं कि रेड शुरू हो जाती है। अब क्या मामला है, इसमें क्या कहा जाए? जिनके यहां पर रेड हुई उन्होंने तो बताया ही है कि क्या है!
तेजस्वी यादव पर समन को लेकर नीतीश ने कहा कि जिसके साथ हुआ है वो तो जवाब दे ही रहें, हम क्या बोलेंगे? मुख्यमंत्री ने कहा कि शुरू से लेकर अब तक कहीं पर कुछ होता है उस पर हम कुछ नहीं बोलते हैं। साल 2017 में हुआ था तो भी हम कुछ नहीं बोले। उस वक्त इन कारणों से आरजेडी और जेडीयू अलग हो गई थी। अब पांच साल बाद फिर से रेड हो रही क्योंकि हम लोग साथ आये हैं। इसमें क्या ही कहेंगे। कितने साल से रेड चल रही।
नीतीश कुमार ने कहा कि साल 2017 में वहां बात हुई तो वहां के लोगों की बात मान ली और हम उनके (बीजेपी) के साथ चले गये। फिर इधर आए हैं तो ये सब शुरू हो गया है। अब क्या कहा जाए इसमें, जो भी मामला है. समझ में नहीं आ रहा है। इसके अलावा भी नीतीश कुमार ने कई मुद्दों पर प्रतिक्रिया दी। शुक्रवार को लालू परिवार पर रेड को लेकर उन्होंने कोई बयान नहीं दिया था। चुप्पी साध कर निकल गये थे। शनिवार को उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि जब भी बिहार में महागठबंधन सरकार बनती है, ये सब होने लगता है।
बता दें कि शुक्रवार को लालू यादव के परिवार के सदस्य और आरजेडी नेताओं के यहां सुबह से लेकर शाम और देर रात तक रेड हुई। शनिवार को तेजस्वी यादव को सीबीआइ ने समन जारी किया। लेकिन तेजस्वी ने पत्नी राजश्री यादव के अस्पताल में भर्ती होने के कारण सीबीआइ मुख्यालय जाने से मना कर दिया है।
शिवानंद ने कहा, लोकतंत्र को बचाना है तो विरोधी दलों को संघर्ष के मैदान में उतरना होगा!
लालू परिवार पर सीबीआइ और ईडी की कार्रवाई को लेकर राजद बेहद हमलावर है। ऐसे में नीतीश कुमार की ठंडी प्रतिक्रिया महागठबंधन और उसके जनाधार के बीच बेचैनी दिख रही है। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि लोकतंत्र को बचाना है तो विरोधी दलों को संघर्ष के मैदान में उतरना होगा। सिर्फ़ बयानों और भाषणों से लोकतंत्र अब बचने वाला नहीं है। मोदी जी आरएसएस के खांटी स्वयंसेवक है। लंबे समय तक संघ के प्रचारक रहे हैं। संघ लोकतंत्र में यक़ीन नहीं करता है। जिस प्रकार मोदी सरकार लोकतांत्र की धज्जियां उड़ा रही है, स्पष्ट है कि इसे बचाने के लिए संघर्ष का मैदान ही अब एक मात्र रास्ता है।
Raid on Lalu family: Nitish spoke loudly, JD president Lalan Singh defied BJP by beating!