DESK : राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा के पूर्व सदस्य शिवानंद तिवारी ने कहा कि अगर लोकसभा के अगले चुनाव में पुनः मोदी जी सरकार बना लेते हैं तो लोकतंत्र को दफ़ना देने में उन्हें कोई संकोच नहीं होगा. तिवारी ने अपने फेसबुक पोस्ट में विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी और सीबीआइ की छापेमारी, बिना सबूत गिरफ्तारी को लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताया है। उन्होंने मोदीराज की वापसी रोकने के लिए विपक्षी दलों को अहम त्याग कर एकजुट होने की सलाह दी है
तिवारी ने लिखा है……..
खबर मिल रही है कि सीबीआई ने तेजस्वी को भी पूछताछ के लिए समन किया है. ज़मीन के बदले नौकरी के मामले में तेजस्वी का नाम कभी सामने नहीं आया. पूछताछ के लिए अचानक तेजस्वी को बुलाया जाना आश्चर्यजनक है. जो सरकार संयुक्त संसदीय समिति से अडानी के मामले की जांच कराने को तैयार नहीं है वह सरकारी जांच एजेंसियों का खुलम्मखुल्ला इस्तेमाल अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ करने में कोई हिचक नहीं दिखा रही है.
दरअसल मामला सिर्फ़ लालू परिवार तक सीमित नहीं है. बल्कि यह हमारे लोकतंत्र के सामने गंभीर चुनौती बन कर खड़ा हो गया है. मनीष सिसोदिया के घर और दफ़्तर में आधा दर्जन मर्तबा छापेमारी हुई. कुछ नहीं मिला. इसके बावजूद उनकी गिरफ़्तारी हुई. सीबीआई की हिरासत में कई दिन रखने के बाद भी जब किसी प्रकार मामला नहीं बना तो अब उनको ईडी ने अपनी हिरासत में ले लिया है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसी राव की बेटी को भी सिसोदिया मामले में ही पूछताछ के लिए बुलाया गया है.
नरेंद्र मोदी जी अपने किसी भी विरोधी को भ्रष्ट घोषित कर देने में संकोच नहीं करते हैं. लेकिन वही विरोधी जब इनके साथ आ जाता है तो तत्काल उसको दूध का धुला बताने में भी ये विलंब नहीं करते हैं. मेघालय इसका नज़ीर है. जिस संगमा सरकार को मोदी जी अबतक की सबसे भ्रष्ट सरकार कहा करते थे. अब चुनाव के बाद अपने दो विधायकों के साथ उसी संगमा की सरकार में शामिल होकर उसको काम करने वाली सरकार का तमग़ा देने में उनको जरा भी देर नहीं लगी.
अब तो राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता समाप्त करने की भूमिका भी बनाई जाने लगी है. बंगाल गवर्नर के रूप में एक समय प्रसिद्ध धनकड़ जी अब उपराष्ट्रपति सह राज्य सभा के सभापति हैं. जिस तरह वे राज्य सभा का संचालन कर रहे हैं उसको देख कर कभी कभी आशंका होती है इनकी वजह से वहां का माहौल अराजक मत हो जाए. धनकड़ जी ने सवाल उठाया है कि राहुल गांधी विदेश की धरती से देश का अपमान कर रहे हैं. इस पर उनके ख़िलाफ़ संसदीय मर्यादा के उल्लंघन के आरोप में कार्रवाई हो सकती है. उसके बाद भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी की लोक सभा सदस्यता समाप्त करने की मांग भी उठायी है.
मोदी जी के नेतृत्व में देश का माहौल ज़हरीला होता जा रहा है. लोकतंत्र गंभीर संकट में दिखाई दे रहा है. लोकतंत्र को बचाने के लिए यह ज़रूरी है कि अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा के विरूद्ध संपूर्ण विपक्ष की व्यापक गोलबंदी हो. इसके लिए ज़रूरी है कि पार्टियां अपना अहम त्यागें. हम ही विपक्षी एकता की धुरी बने तभी एकता हो, इस भावना को त्यागना पड़ेगा.
इस सिलसिले में कांग्रेस पार्टी नीतीश कुमार को तमाम विपक्षी दलों से बात करने की जवाबदेही दे सकती है.
इस प्रकार सामूहिक विमर्श से विपक्षी एकता का कोई फ़ार्मूला बन सकता है. यह स्पष्ट है कि विपक्षी एकता की मुख्य जवाबदेही कांग्रेस को लेनी होगी. कांग्रेस अगर ज़िद्द करेगी एकता हमारे ही नेतृत्व में हो, तब शायद लोकतंत्र को बचाने के लिए जिस प्रकार की एकता की ज़रूरत है उसकी संभावना क्षीण हो जाएगी. जिस तरह मोदी जी लोकतंत्र चला रहे हैं उसको देखते हुए यह निःसंकोच कहा जा सकता है मोदी सरकार का अगला कार्यकाल लोकतंत्र को दफ़ना देने वाला होगा.