-01.98 लाख किसानों को ही मिला मुआवजा, 50 हजार परिवार अब भी लाभ से वंचित
नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) जिले में इस बार भीषण सूखा पड़ा जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ। किसी किसान ने 20% तो किसी ने 30 प्रतिशत धान की रोपनी की। सरकारी आंकड़े को ही मानें तो भी किसानों को खरीफ फसल में 60 से 70% का नुकसान हुआ। सरकार ने जिले को सुखाड़ प्रभावित मानते हुए मदद राशि भेजी, लेकिन वह राशि ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई। हर परिवार के खाते में 3500-3500 रुपए भेजे गए। जिले के 11 प्रखंडों के 1 लाख 98 हजार 544 परिवारों के बीच करीब 69 करोड़ 49 लाख रुपए का वितरण किया गया। बस इतना करके सरकार ने इतिश्री कर ली। अब सुखाड़ पीड़ितों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
जिले के तीन प्रखंडों रजौली, मेसकौर और वारिसलीगंज के करीब 50 हजार परिवार इससे वंचित रह गए। किसानों ने आंदोलन भी किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब किसानों को नए खरीफ सीजन में खेती के लिए पूंजी की चिंता है। फसल सहायता योजना से मदद कब मिलेगी कहना मुश्किल है। जिनको अनुदान नहीं मिला वे तो परेशान हैं, जिनको 3500 मिल गया है वह भी संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि नुकसान 70 और 80 प्रतिशत हुआ जबकि मुआवजा 5% भी नहीं मिला।
दूसरा सबसे सूखा:- आंकड़े बाजी में सूखा क्षेत्र से बाहर
मेसकौर प्रखंड को राज्य का दूसरा सबसे सूखा प्रखंड का दर्जा मिला हुआ है। यहां बारिश तो कम होती ही है साथ में वाटर लेवल भी बहुत खराब है और इसके चलते खेती में भी काफी पिछड़ा है। इस साल जिले में भयंकर सूखा पड़ा। लिहाजा मेसकौर प्रखंड में भी बेहद कम धान रोपनी हुई।बावजूद जिले के सूखाग्रस्त प्रखंडों में इसे शामिल नहीं किया गया। रजौली में भी कृषि कार्य बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ। लेकिन इस प्रखंड को भी सूखाग्रस्त प्रखंड से अलग रखा गया है। रजौली मेसकौर और वारसलीगंज प्रखंडों के अलावा कुछ अन्य प्रखंडों के कुछ पंचायतों को भी इससे अलग रखा गया है।
लाभ नहीं मिलने से किसानों में रोष
जिले के कुल 66 पंचायतों के लगभग 50000 किसान सुखाड़ इनपुट मुआवजे से वंचित रह गए । 66 पंचायतों में रजौली ,वारिसलीगंज और मेसकौर प्रखंड के सभी पंचायतों के अलावा नवादा सदर प्रखंड के 8 पंचायत, अकबरपुर के 8 पंचायत, काशीचक के चार पंचायत के अलावा गोविंदपुर के भी कुछ पंचायत शामिल हैं। इन गांवों के किसानों में भारी रोष है।
ग्रामीण कहते हैं कि पता नहीं किस आधार पर सर्वे किया गया और हम लोगों को लाभ से वंचित किया गया। जबकि हम लोग बुरी तरह सुखाड़ से प्रभावित हैं। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि या तो इन क्षेत्रों में तय मानक के अनुसार बारिश हुई है या फिर 33% से अधिक धान रोपनी हो गई । लेकिन हकीकत यह है कि इन क्षेत्रों में न तो पर्याप्त धान रोपनी हुई है और न ही पर्याप्त वर्षा हुई ।
केस 1 : -अनुदान या मजाक, 3500 में खाद भी नहीं होगा
जिसे अनुदान नहीं मिला वह तो परेशान है जिसे मिला है वह भी कुछ नहीं है। हिसुआ प्रखंड सिंघौली निवासी किसान मुसाफिर कुशवाहा कहते हैं कि अनुदान बांटने के नाम पर किसानों का मजाक उड़ा है। यह कौन सा अनुदान है ? एक परिवार को 3500 भेजा गया । इससे क्या होगा। सुखाड़ के चलते छोटा किसान को भी 25 से 30 हजार की क्षति हुई है। 3500 में तो एक बोरा का खाद भी नहीं होगा। जिला को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था तो उम्मीद जगी थी कि किसानों को मुआवजा और अनुदान के तौर पर राहत योग्य राशि मिलेगी लेकिन किसानों को ठग दिया गया।
केस 2 :- धान रोपनी हुई नहीं, अधिकारियों ने कह दिया हो गया
मेसकौर प्रखंड के बारत निवासी किसान कारी देवी बताती है कि इस साल भयंकर मारा हुआ है। बस नाम मात्र के धान रोपनी हुई है। खाने के लिए भी चावल नहीं हुआ है।
सुने हैं कि सरकार ने सुखाड़ राहत के लिए पैसा भेजा है लेकिन हम लोगों को नहीं मिला। कहा गया है कि हम लोगों के प्रखंड में खूब धान रोपनी हुई है। जबकि यह बात सरासर गलत है। सब लोग जानते हैं कि हमारा प्रखंड जिला का सबसे सूखा इलाका है। पता नहीं सरकार और पदाधिकारी को कहां से धान का खेती दिख गया। धान तो नहीं हुआ रबी फसल भी खराब है। इस प्रकार किसानों के साथ सरासर अन्याय हुआ है।