Biharsharif/Avinash pandey: नालंदा के सांसद, कौशलेन्द्र कुमार ने लोकसभा में नियम-377 के तहत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में मजदूरों की मजदूरी एवं काम का दिन बढ़ाने के साथ ही लम्बित राशि का भुगतान अविलम्ब कराने की मांग करते हुए कहा कि देश में कोरोनाकाल के समय से ही मजदूरों का ग्रामीण इलाकों में जीविका का एकमात्र यही साधन रह गया है। कोरोनाकाल में तो मनरेगा में मजदूरों को सही रूप से काम मिल रहा था, किन्तु उसके बाद से औसतन 28 से 30 दिन ही काम दिया जा रहा है। ऊपर से कमर तोड़ ऐसी मंहगाई में उनका गुजारा नहीं हो रहा है।
सांसद ने यह भी कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों को मनरेगा की राशि में भुगतान नहीं किया जा रहा है। राज्यों का साल दर साल बकाया बाधित है। आंकड़े बताते हैं कि बिहार राज्य देश में सर्वाधिक भूमिहीन श्रमिकों वाला राज्य है। यह संख्या करीब 88.61 लाख है। इनको मनरेगा के तहत लगातार 100 दिनों का काम गारंटी के साथ मिलना चाहिए, किन्तु वित्तीय अभाव के कारण औसतन 28 दिनों का ही काम मिल रहा है।
श्री कुमार ने कहा कि बिहार में मनरेगा के तहत हरियाणा की तर्ज पर 300 रू. से अधिक की मजदूरी तय करने की आवश्यकता है। अभी बिहार में मात्र 12 रू. की बढ़ोतरी हुई है। पहले 198 रू. तय था और मई, 2022 से 212 रू. मिलना प्रारम्भ हुआ है। अन्य राज्यों में केन्द्र सरकार ने 7 प्रतिशत की वृद्धि किया है।
बिहार सरकार लगातार केन्द्र सरकार से आग्रह करती आ रही है कि मनरेगा मजदूरी बढ़ाई जाये और लम्बित राशि लगभग 1900 करोड़ का भुगतान किया जाये। उन्होंने बिहार राज्य की इस लम्बित माँग को अविलम्ब स्वीकार करने का आग्रह करते हुए यह भी कहा कि सभी मजदूरांे को 100 दिनों का काम सुनिश्चित होना चाहिए।