सुप्रीम कोर्ट और बोर्ड के नियमों को वॉक ओवर देने में विश्वि चैम्पियन बन रहा यूपीसीए

कानपुर

-अब पदाधिकारियों ने भी अपना विरोध दर्ज कराना शुरु कर दिया

कानपुर, भूपेंद्र सिंह। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ भारतीय क्रिकेट कन्ट्रोंल बोर्ड के बनाए गए नियमों की धज्जियां उडाने में तो पहले से ही महारथ प्राप्त कर चुका है। अब वह सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी की गयी लोढा समिति की सिफारिशों को वॉक ओवर देकर विश्व चैम्पियन बनने की ओर अग्रसार हो चला है। ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है कि अब संघ मुख्यालय में किसी भी प्रकार की बैठकों का आयोजन करने से कतरा रहा है। यही नही वह अब एपेक्स कमेटी की बैठकों के साथ ही निदेशक मण्डल की बैठक एक साथ निदेशक के द्धारा निर्धारित स्थान पर ही आयोजन करने में सफल हो रहा है जो कि लोढा समिति की सिफारिशों का अक्षरश: उल्लंघन है। संघ के कुछ पूर्व पदाधिकारियों (जो अब केवल निदेशक के तौर पर ही कार्य कर रहे हैं) के निर्देश पर बैठकों का आयोजन मुख्यालय के बाहर किया जा रहा है जबकि ऐसा नियमों के विरुद्ध माना जाता है।

उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन कि शुक्रवार को मेरठ के एक आलीशान होटल में संपन्न एपेक्स कमेटी की बैठक में इस बार ग्रीनपार्क की दर्शक क्षमता बढाने को लेकर मुद्दे को लेकर काफी गहमागहमी दिखाई दी । गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने बीते कई मैचों मैं पुलिस की ओर से की गई सुरक्षा व्यवस्था के भुगतान पर भी चर्चा तेजी से चली। एपेक्स कमेटी की बैठक अभी ठीक से समाप्त भी नही हो सकी थी कि संघ के निदेशक मण्डल की बैठक के लिए कर्ता– धर्ता भागने लगे। यूपीसीए की ओर से बीसीसीआई को यह भी बताया है कि संघ नियमों का पालन सही तरीके से कर रहा है।

लेकिन उससे उलट है कि लोढा समिति की सिफारिशों को न मानने की जिद पर भी यूपीसीए मानो अडा ही है तभी वह संवैधानिक तरीके से संघ को संचालित मनमाने ढंग से करवा रहा है।अभी हाल ही में संघ ने चुपके से ही मुख्य विकेट निर्माणकर्ता की सीधी भर्ती कर दी जिसके लिए एपेक्स कमेटी के सदस्यो की राय तक नही ली गयी।इससे भी अलग यह है कि लाइफ मेम्बर्स संघ को पूरी तरह से अपने कब्जे में लिए हुए हैं। लोढा समिति की सिफारिशों की माने तो बीसीसीआई से संबंधित कोई भी क्रिकेट एसोसिएशन का सदस्य 70 साल से ऊपर नहीं होना चाहिए। यही नहीं कई निदेशकों को लाभ के पद पर भी नियुक्त करने में संघ के कई सदस्य पीछे नहीं हट रहे हैं जबकि समिति की सिफारिशों में यह स्पष्ट रूप से अंकित है कि एक व्यक्ति के पास केवल एक ही पद निर्धारित रह सकता है।

इसके बावजूद भी संघ अपना दामन दागदार नही मानता और लोढा समिति की सिफारिशों के साथ ही बोर्ड के बनाए नियमों का उल्लंधन साफ तौर पर करता नजर आ रहा है। गौरतलब यह भी है कि देश भर के क्रिकेट संगठनों के एपेक्स या फिर कोई और बैठक मुख्यालय में ही कराता है लेकिन प्रदेश संघ उन सबसे ऊपर दिखायी देता है। यूपीसीए के एक पदाधिका‍री ने बताया कि 17 मार्च को मेरठ में होने वाली एपेक्स के साथ निदेशकों की बैठक एकदम अनुचित है। अगली बार से इसे अलग-अलग आयोजित करवाने के लिए प्रयास किया जाएगा।