मौत का ठीकरा परिजनों के माथे फोड़ने की हो रही साजिश?

नवादा
  • रजौली एसडीपीओ ने की घटनास्थल की जांच

नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली थाना क्षेत्र के डोपटा में नाबालिग लड़की को जिंदा जलाने की घटना की पुलिसिया जांच आरंभ कर दी गई है। रजौली एसडीपीओ भारतीय पुलिस सेवा पदाधिकारी विक्रम सिहाग ने सोमवार को घटनास्थल पर जांच कर स्थानीय लोगों का बयान कलमबंद किया। इसके साथ ही जांच से संबंधित बिंदुओं को पत्रकारों को प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जानकारियां उपलब्ध कराई।

जारी प्रेस विज्ञप्ति से स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं मौत का जिम्मेदार परिजनों को ठहराने का प्रयास किया जा रहा है। स्पष्ट किया गया है कि 13 मार्च को जिस कमरे में जली या जलाई गईं कमरा अंदर से बंद था। यानी कि ऐसे आहार हैं कि उसे जलाया नहीं बल्कि उसने खुद आत्महत्या की? उसके गर्भवती होने के कोई प्रमाण नहीं मिले। यहां तक कि आरोपी के साथ प्रेम संबंध था किसी ने स्वीकार नहीं किया इत्यादि।

पावापुरी बिम्स में इलाज के क्रम में मौत के बाद परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया तथा शव का अंतिम संस्कार स्वयं कराया। सूचना थाने को 17 मार्च को दर्ज कराई।
जारी प्रेस विज्ञप्ति से स्पष्ट है कि मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया जा रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि हत्या या आत्महत्या की सूचना ग्रामीणों ने पुलिस को क्यों नहीं दी?

मामला जब सोशल मीडिया पर पहली बार 15 मार्च को सामने आया तब पुलिस ने ऐसी किसी घटना से इंकार क्यों किया? सोशल मीडिया पर ख़बरें वायरल होने के बाद मृतका के पिता ने मुंह क्यों खोला? जाहिर है परिजनों पर मुंह न खोलने का दबाव ग्रामीणों का था जो अब भी बरकरार है। वैसे जिले के लोग था ना का शाब्दिक अर्थ भलिभांति समझती है। गेंद पुलिस के पाले में है। पीड़ित को न्याय मिल भी पायेगा यह भविष्य के गर्भ में है।