चंपारण : चैत्र नवरात्र को लेकर पूजा पंडालों में तैयारी पूरी, आज होगा कलश स्थापित

मोतिहारी
  • बलुआ चौक शक्ति धाम में इस बार रामकथा भी बनेगा आकर्षण

मोतिहारी / राजन द्विवेदी। कल यानी बुधवार को कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा देवी के उपासना का नौ दिनों का अनुष्ठान शुरू हो जाएगा। इसको लेकर जिले में लगभग सभी पूजा स्थलों पर तैयारी आज पूरी हो गई है। शहर के बलुआ चौक, कचहरी चौक, मीना बाजार स्थित मंदिर सहित कई पूजा पंडालों में पूजा की तैयारी है। चैत्र नवरात्रि में इस बार माता का आगमन नाव पर हो रहा है। इस बार पूरे 9 दिनों की नवरात्रि मनाई जाएगी। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना यानी कलश की स्थापना की जाती है। कलश स्थापना के दौरान मुहूर्त का खास ख्याल रखा जाता है।

मान्यताओं के मुताबिक चैत्र नवरात्रि से ही नए युग की शुरुआत हुई थी। इसलिए संवत का आरंभ भी चैत्र नवरात्रि से ही होता है। 22 मार्च से शुरू होकर अगले 9 दिनों तक चलने वाली नवरात्रि के दौरान श्रद्धालु मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करेंगे। कलश स्थापना के साथ ही श्रद्धालुओं के नौ दिनों का उपवास भी शुरू हो जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कलश स्थापना या घटस्थापना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। बलुआ चौक दुर्गा पूजा समिति के सचिव शिव कुमार ने बताया कि इस बार माता की भव्य प्रतिमा के साथ साथ रामकथा का आयोजन भी आकर्षण का केंद्र बनेगा।

आचार्य दयाशंकर पांडेय ने बताया कि अभिजीत मुहूर्त में बलुआ दुर्गा पूजा पंडाल में कलश स्थापित की जाएगी। यजमान राजन द्विवेदी ने बताया कि बलुआ चौक स्थित शक्ति धाम माता का एक सिद्ध स्थल है। जिसकी महिमा और ख्याति चंपारण ही नहीं पूरे बिहार में है। माता अपनी यहां पर मौजूदगी का एहसास पूर्व के हठी अहंकारी अधिकारियों को भी दिला चुकी हैं। उन्होंने चंपारण के माता जी के भक्तों से आह्वान किया कि इस पावन चैत्र नवरात्र में माता के दर्शन पूजन कर अपने मनोवांछित फल प्राप्त करें।

ऐसे करें घट स्थापित
आचार्य दयाशंकर पंडित ने बताया कि नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि इस बार 22 मार्च को है। इसी दिन कलश की स्थापना भी की जाएगी। घटस्थापना का सबसे अच्छा समय सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 07 बजतक 32 मिनट तक रहेगा। कलश स्थापना की विधि शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें। उसके बाद एक साफ स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करें।

लाल रंग के इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें और मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें और कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें। कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें. एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें। नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें। इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें। नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है।