देश को बचाने की लड़ाई अब सड़कों पर होगी : दीपंकर भट्टाचार्य

पटना
  • अडानी घोटाले में घिरी मोदी सरकार अब कोर्ट के जरिए विरोध की आवाज खामोश करना चाहती है.
  • देश और लोकतंत्र बचाने का मतलब है – लोगों के रोजी-रोज़गार और बोलने की आजादी की रक्षा.
  • पार्टी महाधिवेशन के बाद पहली केंद्रीय कमिटी की बैठक आज से कोलकात्ता में शुरू

स्टेट डेस्क/पटना : भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से बर्खास्त किए जाने के बाद देश की राजनीति एक नये दौर में चली गयी है. भाजपा-आरएसएस की निरंकुश तानाशाही के खिलाफ विपक्ष के तमाम दलों का अब एक मंच पर आना वक्त की मांग है. लड़ाई अब सड़कों पर होगी. माले महासचिव ने रविवार को पार्टी की केंद्रीय कमेटी की बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कहीं.भाकपा-माले के 11वें महाधिवेशन से चुनी गई नई केंद्रीय कमेटी की पहली बैठक आज से कोलकाता में शुरू हुई. बैठक में केंद्रीय कमेटी के सभी 76 सदस्य भाग ले रहे हैं. माले महाधिवेशन पिछले महीने 15-20 फरवरी को पटना में संपन्न हुआ था.

बैठक में माले महासचिव ने कहा कि राहुल गांधी को जिस प्रकार से आनन-फानन में लोकसभा से बाहर किया गया, यह भाजपा की बहुत ही सोची समझी चाल का हिस्सा है. अडानी घोटाले में बुरी तरह घिरी मोदी सरकार अब इस रास्ते विरोध की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है. देश की जनता को अच्छे से पता है कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार के सवाल पर ही केंद्र की सत्ता में आई थी और उसने काले धन को वापस लाकर हर किसी के खाते में ₹15 लाख डालने की घोषणा की थी, लेकिन मोदी राज में केवल और केवल अडानी और अंबानी का विकास हुआ.

अडानी को देश की संपत्ति कौड़ियों के भाव दिया गया है, जबकि अडानी की कंपनियों में मात्र 23 हजार लोग काम करते हैं. मतलब रोजगार के बेहद सीमित अवसर अडानी ग्रुप उपलब्ध कराता है. इसलिए मोदी सरकार अडानी घोटाले में विपक्ष की जेपीसी की मांग को ठुकराती रही, उल्टे राहुल गांधी को निशाना बनाया गया. आज देश की जनता भयानक बेरोजगारी-महंगाई की मार झेल रही है. मोदी सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है और विरोध की हर आवाज को डरा-धमका कर खामोश करने की कोशिश है. देश की जनता इसे अच्छे से समझ रही है. भाकपा-माले जनता के बीच जाएगी. देश और लोकतंत्र बचाने का मतलब है- लोगों के रोजी-रोज़गार और बोलने की आजादी की रक्षा.