- प्रभु श्रीराम सीता शंकर पार्वती वीर हनुमान संग नाचे भूत पिशाच बेताल
- रोजेदार मुसलमान भाइयों ने रामनवमी शोभायात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को पानी व शरबत पिलाकर सामाजिक सद्भाव की मिसाल पेश की
- 101 वर्ष पुरानी रामनवमी शोभायात्रा में गूंजा ‘जय श्री राम’
- फुलवारी शरीफ में निकली भव्य झांकी, ब्रिटिश काल में हुई थी शुरूआत
फुलवारी शरीफ ,अजीत. मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जन्मोत्सव के अवसर पर फुलवारी शरीफ में शुक्रवार को ब्रिटिश काल से चली आ रही भव्य रामनवमी शोभायत्रा निकाली गई . स्वर्गीय मोतीलाल के द्वारा भव्य रामनवमी शोभा यात्रा निकाले जाने की शुरुआत हुई थी . शुक्रवार को पूरा फुलवारी शरीफ शहर भव्य रामनवमी शोभा यात्रा मैं जय श्रीराम के जयघोष और वीर हनुमान की जय कारे से गुंजायमान होता रहा . शोभायत्रा में एक से बढ़कर एक झांकियों ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया. इस दौरान श्री राम सीता शंकर पार्वती के साथ भूत पिशाच बेताल भी झूमते नजर आए तो भगवान गणेश श्री राम और सीता जी के रथ के सारथी बने नजर आए.
वीर हनुमान बसहा बैल भालू समेत कई आकर्षक झांकियों को देखने जनसैलाब उमड़ा रहा . इस दौरान फुलवारी शरीफ में रोजेदार मुसलमान भाइयों ने रामनवमी शोभायात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को पानी और शरबत पिलाकर सामाजिक सद्भाव की मिसाल पेश की.बता दें कि फुलवारी शरीफ में हर साल रामनवमी के दूसरे दिन भव्य शोभायात्रा निकालने की परंपरा रही है . रामनवमी शोभा यात्रा समिति के अध्यक्ष ओमप्रकाश गुप्ता के मुताबिक इस बार 101 साल इस शोभायात्रा के पूरे हो गए . इस दौरान शोभायात्रा का स्वागत लोगों ने अपने-अपने घरों से फूलों की वर्षा करके की वहीं दूसरी तरफ रोजेदारों ने पानी और शरबत पिलाकर उनका भव्य स्वागत किया.
दरअसल, ब्रिटिश काल में शुरू किए गए रामनवमी शोभायात्रा की परंपरा आज भी फुलवारी शरीफ में कायम है.राम नवमी के अवसर पर फुलवारीशरीफ नगर में विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया गया. लगभग 101 वर्ष पूर्व शोभायात्रा का आयोजन स्वतंत्रता सेनानी मोतीलाल ने शुरू किया था। ब्रिटिश काल में शुरू किए गए रामनवमी शोभायात्रा की परंपरा आज भी फुलवारी शरीफ में कायम है.
फुलवारीशरीफ संगत से निकली यह शोभायात्रा नगर के पेठिया बाजार चौराहा, शहीद भगत सिंह चौक, चुनौती कुआं टमटम, प्रखंड परिसर मोड़ होते हुए संगत पर आकर समाप्त हो गया. शोभायात्रा के आयोजनकर्ता ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि ब्रिटिश काल में इसका शुभारंभ स्वतंत्रता सेनानी मोतीलाल के द्वारा शुरू किया गया था. तब से पारंपरिक हथियारों से सुशोभित शोभायात्रा में राम-सीता, हनुमान के अलावा झांसी की रानी, भारत माता, शंकर की झांकी के अलावा कई झांकियां देखने को मिली जो लोगों को अपनी ओर आकृष्ट कर रही थी.
रमजान महीने को ध्यान में रखते हुए शोभायात्रा में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. सुरक्षा की कमान फुलवारीशरीफ अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मनीष कुमार एवं एस एच ओ शफिर आलम कर रहे थे. शोभा यात्रा को देखने के लिए दूरदराज गांव देहात के हजारों श्रद्धालु फुलवारी शरीफ नगर पहुंचे.