–छिड़काव कर्मियों को निर्देश है कि प्रभावित गांवों में एक भी घर छिड़काव से छूटे नहीं
बेतिया / प्रतिनिधि। जिले को कालाजार से मुक्त करने को लेकर स्वास्थ्य कर्मी दृढ़संकल्पित हैं। इसे लेकर कालाजार प्रभावित क्षेत्रों में दवा का छिड़काव प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा किया जा रहा है। साथ ही अधिकारियों के द्वारा छिड़काव कार्य की निगरानी भी की जा रही है।
यह देखा जा रहा कि सही ढंग से आईआरएस का छिड़काव हुआ है कि नहीं। ताकि उस क्षेत्र को कालाजार से मुक्त किया जा सके। यह कहना है जिले के डीभीबीडीसीओ डॉ हरेन्द्र कुमार का। उन्होंने बताया कि जिले में छिड़काव अभियान 60 दिनों तक चलेगा।
इस दौरान प्रभावित 24 गांवों में एक भी घर छिड़काव से छूटे नहीं इस बात को ध्यान में रखने का आदेश दिया गया है। भीबीडीएस सुजीत कुमार ने बताया कि बालू मक्खी के काटने से कालाजार होता है। उन्होंने बताया कि यह मक्खी कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है। इसलिए दवा का छिड़काव घरों, गौशालाओं की दीवार पर छह फीट तक किया जाता है। वहीं उन्होंने बताया कि क्षतिपूर्ति के रूप में कालाजार के मरीजों को सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है।
कालाजार के लक्षण :
रुक-रुक कर बुखार आना, भूख कम लगना, शरीर में पीलापन और वजन घटना, तिल्ली और लिवर का आकार बढ़ना, त्वचा-सूखी, पतली और होना और बाल झड़ना कालाजार के मुख्य लक्षण हैं। इससे पीड़ित होने पर शरीर में तेजी से खून की कमी होने लगती है।