जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला नहीं थमना चिन्ताजनक, सरकार गंभीर हो – माले

पटना
  • स्थानीय थानाध्यक्ष की जानकारी में शराब का अवैध कारोबार वर्षों – वर्ष से जारी है, इसलिए जहरीली शराब से मौतों के लिए स्थानीय पुलिस प्रशासन सीधे जिम्मेवार है
  • शराब माफियाओं के साथ पुलिस प्रशासन और स्थानीय भाजपा सांसद एवं विधायकों के संबंधों की उच्चस्तरीय जांच हो
  • स्थानीय स्तर पर शराब माफिया गरीब-मजदूरों का चारे के रूप में इस्तेमाल कर रहा है इस्तेमाल
  • मनरेगा जैसी रोजगारपरक योजनाओं में कटौती कर भाजपा की केंद्र सरकार गरीबों को शराब जैसे जानलेवा धंधे में धकेल रही है

स्टेट डेस्क/पटना: पूर्वी चंपारण जिले के तुरकौलिया, हरसिद्धि, पहाड़पुर और सुगौली प्रखंड के दर्जन भर गांवों में 13 अप्रैल 2023 से जहरीली शराब से हो रही मौतों की जांच के लिए 16 अप्रैल को भाकपा-माले की एक राज्यस्तरीय जांच टीम ने पार्टी के केंद्रीय कमिटी सदस्य सह सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता और राज्य कमिटी सदस्य विष्णुदेव प्रसाद यादव के नेतृत्व में प्रभावित गांवों का दौरा किया.साथ में, पार्टी के सुगौली प्रखंड प्रभारी भोला साह, तुरकौलिया के विशेश्वर कुशवाहा, किसान महासभा के शंभुलाल यादव, नगर कमिटी सदस्य रंजन कुमार, इनौस के अशोक कुशवाहा, भोला राम आदि नेता शामिल थे.

जांच टीम आज सबसे पहले बढ़ेया के मृतक गणेश राम,पिता किशुनी राम, उम्र 65 वर्ष के दरवाजे पर पहुंची, जहां उनके पुत्र धीरन राम और अन्य ग्रामीणों से घटना के बारे में जानकारी प्राप्त की.उनलोगो ने बतलाया कि 14 अप्रैल की रात्रि में करीब 8- 9 बजे उनको काफी बेचैनी महसूस होने लगी, दर्द से कराह रहे थे और उल्टी शुरू हो गई. तबीयत सीरियस होते देख कर गाड़ी मंगवाई गई और इलाज के लिए मोतिहारी प्राइवेट अस्पताल में ले जाया गया. वहां गेट पर पहुंचते -पहुंचते उनकी मृत्यु हो गई. हमलोग बिना पोस्टमार्टम करवाए लाश लेकर चले आए और दाह-संस्कार कर दिया. बाद में पुलिस जांच पड़ताल में आई थी.

उसके बाद जांच टीम सुगौली प्रखंड के गिधा गांव में पहुंची, जहां अभी तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है और 8 लोग विभिन्न अस्पतालों में जिंदगी मौत से जूझ रहे हैं. जांच टीम करीब 8.30 बजे गिद्दा चौक पहुंची. उससे थोड़ी देर पहले ही बुनियाद पासवान और अमरदेव महतो जो बगल के टोला कौवाहा के हैं, उनकी लाश पहुंची थी. वहां गांव के लोगों ने बतलाया है कि यहां सभी लोगों की मौत शराब पीने से हुई है. स्थानीय मुखिया पति अनिरुद्ध सिंह , चंदन कुमार सहित अन्य लोगों ने भी बतलाया है कि गिद्दा गांव लंबे समय से अवैध शराब बिक्री का केंद्र बना हुआ है. सुगौली प्रखंड के मेहवा और सेमरा गांव शराब सप्लाई का केंद्र है जहां से पूरे इलाके में सप्लाई होता है.

वे लोग महिना पर आदमी रखे हुए हैं जो गांव – गांव शराब पहुंचाने का काम करते है. जो होल सेलर हैं वही पुलिस प्रशासन को मैनेज रखते है, जिसके बल पर खुदरा विक्रेता गांव में दबंगई करते हैं. विरोध करने वालों के साथ मारपीट भी करते हैं. 6 महीना पहले जब उनलोगों ने पुलिस को पब्लिक पेटिशन दिया तो कुछ लोगों का रास्ता भी बंद कर दिया था. अब-जब गांव में इतना बड़ा हादसा हो गया है लोग मरते जा रहे हैं,  तब भी सच्चाई छुपाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि यह मत बोलिए कि शराब पीने से मौत हुई है। कहिए कि बीमारी से मरे हैं. इसी वजह से लोगों ने लाशों का पोस्टमार्टम भी नही कराया है और आनन फानन में शवों को जला डाला है.

इसी तरह की बात धवही,गोखुला,जयसिंहपुर,कौवाहा,लक्ष्मीपुर आदि गांवों के लोगों ने भी बताया. अभी तक पूरे इलाके में करीब 25 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमे मात्र 3 लोगों का ही पोस्टमार्टम हुआ है. 50 से ज्यादा लोग विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत हैं, जिनकी मौत का सिलसिला जारी है. यह पूरी घटना लंबे समय से गांव में स्थापित अवैध शराब के कारोबार का नतीजा है. ग्रामीण गरीबों के सामने रोजी-रोटी का संकट और बेरोजगारी  उन्हें इस जानलेवा धंधे में धकेल रही है, जिसे बड़े – बड़े शराब माफिया चारे के बतौर इस्तेमाल करते हैं. यह धंधा शराब माफिया और स्थानीय पुलिस प्रशासन के लिए आमदनी का बहुत बड़ा स्रोत बना हुआ है, जिनका स्थानीय भाजपा सांसद और विधायकों से भी घनिष्ट रिश्ता है. उनके लिए चुनाव में राजनीतिक कार्यकर्ता का भी काम करते हैं.

पुलिस कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रही है, बड़े माफियाओं को पकड़ने के बदले गरीबों को ही पकड़ – पकड़ कर जेल भेज रही है. भाकपा -माले जांच टीम यह मांग करती है कि

1.पूर्वी चंपारण में जहरीली शराब से हो रही मौतों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और इसके लिए सीधे जिम्मेवार स्थानीय थाना अध्यक्षों और शराब माफियाओं के खिलाफ जनसंहार/हत्या का मुकदमा दर्ज कर कठोर सजा दी जाए.

2.मृतक के आश्रित महिलाओं और बच्चों के भरण पोषण के लिए प्रत्येक परिवार को 10-10 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए.

3.अवैध शराब का कारोबार वर्षों वर्ष से बिना जिला प्रशासन के संरक्षण के जारी नही रह सकता है.इसलिए इस जनसंहार के लिए जिला प्रशासन सीधा जिम्मेवार है उसकी भूमिका की भी जांच हो और ठोस कार्रवाई की जाए.

4.गांवों में रोजगार सृजन के लिए मनरेगा जैसी रोजगार परक योजनाओं को और  कारगर बनाया जाए और पर्याप्त मात्रा में केंद्र सरकार धन मुहैया कराए.

5.गांवों में शराब बंदी के पक्ष में खड़े लोगों के जानमाल के सुरक्षा की गारंटी की जाए.