-शोध परिषद ने डुमरांव के कृषि विज्ञानी द्वारा प्रस्तावित धान की दो नई किस्म को अनुशंसित किया
विक्रांत : बिहार कृषि विश्वविध्यालय, सबौर भागलपुर के द्वारा आयोजित 25वी शोध परिषद की बैठक मे धान की दो नयी किस्म सबौर मोती धान एवं सबौर सोना धान के साथ ही तीन नए कृषि उपयोगी तकनीकों की अनुसंशा की गयी। वैज्ञानिक डॉ॰ प्रकाश सिंह द्वारा प्रस्तावित धान की दो नयी क़िस्मों मे सबौर मोती धान अल्पावधि मे पकने के साथ- साथ अधिक उपज देने वाली प्रभेद है जिसकी औसत उपज 52-55 कुंतल/ है॰ होती है। इस किस्म से कम वर्षा वाले क्षेत्र के किसान लाभान्वित होंगे। धान की दूसरी किस्म सबौर सोना धान माध्यम अवधि की बौना किस्म है. जिसकी औसत उपज 52-58 कुंतल/है॰ तक होती है और चावल सुगंधित होता है।
यह किस्म किसानों की आमदनी बढ़ाने मे बहुत कारगर साबित होगी। परिषद की बैठक मे अनुसंशित दोनों किस्में जलवायु अनुकूल तथा धान मे लगने वाले मुख्य किट एवं रोग के प्रति माध्यम-प्रतिरोधी है। परिषद की बैठक मे जिन तीन नयी तकनीकों की अनुषंशा की गयी उनमे वैज्ञानिक डॉ॰ हिदायतुल्लाह मीर द्वारा प्रस्तावित दो तकनीक कम लागत मे उत्तक संवर्धन के द्वारा Synogonium) एवं Ficus lyrata के पौध को बड़े पैमाने पर तैयार करने की विधि पर आधारित है।
दोनों तकनीकों के आने से इन सजावटी पौधों के रोग रहित पौध वायपरिक स्तर पर तैयार किए जा सकेंगे। इसके अलावा वैज्ञानिक डॉ॰ एस॰ के॰ गुप्ता द्वारा प्रस्तावित सालों भर हरा चारा उत्पादन करने के लिए मक्का,ज्वार,लोबिया फसल चक्र आधारित तकनीक की भी अनुशंसा परिषद द्वारा की गई। बी ए यू के कुलपति डॉ॰ डी॰ आर॰ सिंह ने सभी वैज्ञानिकों उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए बधाई देते हुए किसानों से जुड़ी मूलभूत समस्याओं पर नयी परियोजना बनकार काम करने का निर्देश दिया।
साथ ही साथ उन्होने वैज्ञानिकों को जलवायु अनुकूल कृषि एवं प्रकृतिक कृषि को वर्तमान की जरूरत बताते हुए आगे शोध करने पर बल दिया। निदेशक अनुसंधान डॉ॰ पी॰के॰ सिंह ने बीएयू, सबौर और आरपीसीएयू, पूसा को किसानों के हित मे मिलकर शोध कार्य करने की बात कही। अंत मे उप निदेशक शोध डॉ॰ सैलबाला देई ने अपने धन्यवाद ज्ञापन मे सभी आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।