डुमरांवःकृषि कालेज के विज्ञानी द्वारा विकसित धान की दो नई किस्म की बीएयू में गूंज

बक्सर

शोध परिषद ने स्वीकृति प्रदान की। कुलपति ने विज्ञानी डा.प्रकाश सिंह को सराहा

बक्सर, विक्रांत। वीर कुंवर सिंह कृषि कालेज डुमरांव के कृषि विज्ञानी द्वारा विकसित धान की नई प्रजाति ‘सबौर मोती’ एवं सोना बिहार कृषि विश्वविद्यालय में गूंज उठी। गुरूवार की देर शाम तक आयोजित बीएयू के शोध परिषद की 25 वीं बैठक में विज्ञानी डा.प्रकाश सिंह द्वारा धान की नई विकसित प्रजाति सबौर मोती व सोना सहित अन्य तीन नए कृषि उपयोगी तकनीकों की स्वीकृति प्रदान की गई।

बीएयू शोध परिषद द्वारा कृषि विज्ञानी डा.प्रकाश सिंह के प्रस्तावित धान की दो नई प्रजाति को अनुशंसित किए जाने पर कालेज के प्राचार्य डा.रियाज अहमद, कृषि अभियंत्रण कालेज के प्राचार्य डा.जे.पी.सिंह, डा.शांति भूषण प्रसाद, डा.एस.आर.पी.सिंह, डा.अखिलेश कुमार सिंह, डा.ए.के.जैन, डा.पवन शुक्ला, डा.नीतू सिंह एवं डा.अखिलेश कुमार सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि वैज्ञानिक डा.प्रकाश सिंह ने डुमरांव के कृषि कालेज का मान बढ़ाया है।

बीएयू के कुलपति डा.डी.आर.सिंह ने शोध कार्य को आगे बढ़ाने वाले विज्ञानियों की प्रशंसा की और कहा कि कृषि विज्ञानियों को किसानों की समस्याआंें पर नई परियोजना बनाकर कार्य करने की जरूरत है। कुलपति डा.सिंह ने कहा कि जलवायु अनुकूल एवं प्रकृति के अनुसार कृषि की जरूरत को देखते हुए विज्ञानियों को आगे शोध करना लाजिमी है। बीएयू के जन संपर्क पदाधिकारी डा.राजेश कुमार ने बताया कि शोध परिषद की 25 वीं बैठक में डुमरांव कृषि कालेज के विज्ञानी द्वारा प्रस्तावित दो नई प्रजाति सबौर मोती एवं सोना अनुशंसित किया गया है।

नई प्रजाति ‘सबौर मोती’ धान अल्प दिनों में पकने के आलावा अधिक उपज देने वाली प्रभेद है। औसत उपज प्रति हेक्टेयर 52-55 क्विंटल है। इस प्रभेद से कम बारिस वाले क्षेत्र के किसान लाभान्वित होगें। आगे विवि के जन संपर्क पदाधिकारी ने बताया कि दुसरी प्रभेद ‘सबौर सोना’ धान मध्यम अवधि की बौना किस्म है। इसका चावल सुगंधित होता है। औसत उपज प्रति हेक्टेयर 52-58 क्ंिवटल तक होती है। यह प्रभेद किसानों की आमदनी बढ़ाने में कारगर साबित होगा।