DESK : भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रवि शंकर प्रसाद ने भाजपा प्रदेश कार्यालय, पटना में आयोजित एक प्रेसवार्ता को संबोधित किया। उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर मनमानी ढंग से दिल्ली सरकार के अधिकारियों की पोस्टिंग और उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों की पदस्थापन में पारदर्शिता और उत्तरदायी प्रक्रिया लाने के लिए केंद्र सरकार एक अध्यादेश लाई है, ताकि देश की राजधानी होने के नाते दुनिया में भारत की छवि राजधानी दिल्ली पर भी निर्भर करती है।
रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि यह अध्यादेश लाने के पीछे मुख्य कारण है कि दिल्ली सरकार में हो रहे घपले का उजागर करने वाले अधिकारियों समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ जो बदसूलकी की जा रही थी, उस से दिल्ली की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। उन्होंने कहा कि अभी हाल में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर दिल्ली में अधिकारियों की पोस्टिंग की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रशासनिक पदस्थापन के लिए दिल्ली सरकार के लिए कोई विशेष कानून शेड्यूल में निर्धारित नहीं है। अतः सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मुख्यमंत्री के पास अधिकारियों की पोस्टिंग का अधिकार है।
श्री प्रसाद ने कहा कि भारत सरकार द्वारा लाये गए इस अध्यायदेश के अनुसार आगे से दिल्ली सरकार में पदस्थापित अधिकारियों की पोस्टिंग की निगरानी एक बॉडी द्वारा की जाएगी। इस बॉडी के चेयरमैन अरविंद केजरीवाल होंगे और सदस्य राज्य के मुख्य सचिव एवं गृह सचिव होंगे। इस बॉडी में बहुमत के आधार पर निर्णय लिया जायेगा। उस निर्णय पर ही दिल्ली के उप राज्यपाल फैसला लेंगे। पूर्व केन्द्रीय कानून मंत्री श्री प्रसाद ने कहा कि यह नयी व्यवस्था बनाने के पीछे मुख्य कारण है कि केजरीवाल सरकार में दिल्ली के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार करने की कई शिकायतें आई थी।
2010 बैच के आईएएस अधिकारी वाई वीवी जे राजशेखर केजरीवाल सरकार में हुए शराब घोटाले की जांच कर रहे थे। वे केजरीवाल जी के सरकारी आवास की साज सज्जा में हुए घपले का भी निरीक्षण एवं परीक्षण कर रहे थे। वे जल बोर्ड के घपले-घोटाले का भी निरीक्षण कर रहे थे। जब राजशेखर जी सरकारी तंत्र में घपले और घोटाले उजागर करने लगे, तब केजरीवाल जी ने उन्हें पद से हटा दिया। एक एनजीओ की शिकायत पर राजशेखर जी के खिलाफ झूठा केस दायर किया गया।
इसी तरह 2005 बैच के आईएएस अधिकारी आशीष मोरे केजरीवाल सरकार में सेवा सचिव थे। मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उन्हें बुलाकर निर्देश दिया कि “मैं जो डिक्टेट कर रहा हूं, उसे लिख कर उस कागजात पर आप हस्ताक्षर करें।“ मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इसी तरह एक महिला आईएएस अधिकारी किरण सिंह को भी इसी तरह से निर्देश दिया और हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाला। किरण सिंह और आशीष मोरे दोनो ही दलित समाज से आते हैं।
2005 बैच के आईएएस अधिकारी शूरवीर सिंह केजरीवाल सरकार में उर्जा सचिव है। वे केजरीवाल सरकार और निजी कंपनी पावर डिस्कॉम के बीच में लगभग 20 हजार करोड़ रुपए के घपले पर आपत्ति जतायी थी, तो उनके खिलाफ भी पंजाब पुलिस द्वारा दबाव डाला गया। इन सभी अधिकारियों ने इस बारे में शिकायत की थी। याद होगा कि एक समय में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ भी बदसलूकी की थी और इस मामले में केस भी दायर हुआ था।
भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री प्रसाद ने कहा कि दिल्ली भारत की राजधानी है और महामहिम राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में इसका पूरा प्रशासनिक ढांचा आता है। यहां संसद भवन , राष्ट्रपति भवन, हर प्रदेश के केन्द्र कार्यालय एवं बड़ी-बड़ी संस्थाओं के कार्यालय आदि हैं। यहाँ विदेशी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राष्ट्राध्यक्ष और विदेशी मेहमान आते रहते हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाने के लिए संविधान की धारा 239 ए(ए) के तहत दिल्ली में विधानसभा भी बनाया गया एवं सरकार चलाने की व्यवस्था की गयी है। भारत सरकार संविधान के 239 ए(ए) के तहत दिल्ली के लिए कानून ला सकती है और यह अध्यादेश भी इसी के तहत लाया गया है। महामहिम राष्ट्रपति जी लोकतांत्रिक रूप से यहां के बारे में विचार करते हैं और निर्देश देते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2000 रुपए की नोट का प्रचलन प्रक्रियात्मक ढंग से बंद करने और उसे वैध नोट की श्रेणी में रखने के सवाल पर श्री प्रसाद ने कहा कि यह आरबीआई का फैसला है और आरबीआई ने इस फैसले के बारे में विस्तृत जानकारी दी है। आरबीआई ने कहा है कि वर्ष 2016 में 2000 रुपए की नोट जारी की गयी थी। छह साल बाद अब इन नोटों का प्रचलन बहुत कम हो गया है। पहले इसका प्रचालन 30 प्रतिशत था जो घटकर लगभग 10 प्रतिशत हो गया है।
आरबीआई ने वर्ष 2013-14 में भी इसी प्रकार प्रक्रियात्मक ढंग से कई नोट का प्रचलन बंद किया था। यह नोटबंदी नहीं है, बल्कि एक प्रकिया है जिसके तहत किसी भी डिनॉमिनेशन के नोट को प्रचलन से बाहर किया जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक एक स्वायत्त संस्थान है, जो अपने कानूनी प्रक्रिया का इस्तेमाल करती है। श्री प्रसाद ने कांग्रेस पार्टी से सवाल पूछा कि क्या मनमोहन सरकार में ऐसा नहीं हुआ था? कांग्रेस के नेताओं को बताना चाहिए, जो इसका विरोध कर रहे हैं