- पदयात्राओं, नुक्कड़ सभाओं आदि के जरिए संविधान व लोकतंत्र बचाने को चलेगा गांव-गांव अभियान
- भाजपा के खिलाफ दलित व मुस्लिम समुदाय और लोकतंत्र पसंद सभी ताकतों की एकता समय की मांग
- राज्यव्यापी अभियान के दौरान जमीनी स्तर पर पार्टी ढांचे की मजबूती पर दिया जाएगा जोर.
- आइसा, इंसाफ मंच, ऐपवा, किसान महासभा, खेग्रामस आदि जनसंगठनों की सदस्यता दोगुनी करने का निर्णय
स्टेट डेस्क/पटना : भाकपा-माले संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए केंद्र की सत्ता से आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को उखाड़ फेंकने के लिए एक महीने का राज्यव्यापी अभियान चलाने का निर्णय लिया है. यह अभियान आगामी 25 मई से 25 जून तक संचालित होगा. माले की राज्य स्थाई समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। स्थाई समिति की बैठक में माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, वरिष्ठ पार्टी नेता स्वदेश भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, धीरेन्द्र झा, अमर, राजाराम सिंह, शशि यादव, मीना तिवारी, सत्यदेव राम, गोपाल रविदास, संदीप सौरभ, महानंद सिंह, अरूण सिंह सहित 25 अन्य लोग उपस्थित थे.
एक महीने का यह राज्यव्यापी अभियान तीन नारों पर केंद्रित होगा – 1. उन्माद-उत्पात की ताक़तों को शिकस्त दो, हक़ और इंसाफ के लिए एकजुट हो! 2. लूट-दमन और नफ़रत का राज मिटाओ, संविधान बचाओ-लोकतंत्र बचाओ! 3. डॉ. अंबेडकर और संविधान का अपमान, नहीं सहेगा हिन्दुस्तान! बैठक में माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा सांप्रदायिक उन्माद-उत्पात के जरिए बिहार को लगातार अस्थिर करने की कोशिश कर रही है. बिहारशरीफ-सासाराम में सांप्रदायिक हिंसा के बाद अब एक चमत्कारी बाबा के जरिए बिहार से हिंदू राष्ट्र का आह्वान करवा रही है.
दूसरी ओर, नौबतपुर से लेकर सिवान तक डॉ. आंबेडकर की मूर्तियों को निशाना बनाया जा रहा है. भाजपा की साजिश को बिहार की जनता बहुत अच्छे से समझती है और इसका मुंहतोड़ जवाब देगी. उन्होंने कहा कि यह डॉ. आंबेडकर की मूर्तियों पर नहीं बल्कि उनके विचारों और लोकतंत्र व संविधान पर हमला है. संविधान को बदल देने की भाजपाई साजिश कोे लेकर भाकपा-माले गांव-गांव जाएगी.
राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि यह अचानक नहीं है कि हनुमंत कथा के दौरान कोई बाबा हिन्दुओं को माला के साथ-साथ भाला हाथ में लेकर चलने का आह्वान करते हैं. यह भाला किसलिए? ज़ाहिर सी बात है कि यह हिंसा फैलाने की कोशिश है. आज मुसलमानों को देश में दोयम दर्जे का नागरिक बनाया जा रहा है और दलितों की एक नई श्रेणी खड़ी की जा रही है. दलित व मुस्लिम समुदाय की व्यापक एकता के साथ-साथ तमाम लोकतांत्रिक ताकतों को एक साथ मिलकर भाजपा के खिलाफ मोर्चा लेना होगा, तभी भाजपा रूपी विपदा से देश मुक्ति पा सकेगा. यह आज के समय की मांग है.
एक महीने के राज्यव्यापी अभियान के पहले पखवाड़े में ग्रामीण बैठकें आयोजित की जाएंगी और फिर दूसरे पखवाड़े में पदयात्राओं व नुक्कड़ सभाओं के जरिए बिहार में भाजपाइयों की साजिश को बेनकाब किया जाएगा. अभियान के दौरान सांप्रदायिक उन्माद-उत्पात व डॉ. अंबेडकर की मूर्तियों को निशाना बनाने से लेकर शिक्षा- रोज़गार, आवास, स्वास्थ्य, एमएसपी, मनरेगा में काम, निजीकरण पर रोक, खाद्य सुरक्षा की गारंटी आदि मुद्दों को भी प्रमुखता से उठाया जाएगा.
इसी अभियान के दौरान ज़मीनी स्तर पर पार्टी ढांचों को कारगर व मजबूत बनाने के लिए हरेक बूथ पर पार्टी ब्रांच का गठन किया जाएगा. जहां पहले से ब्रांच हैं, उनका पुनर्गठन किया जाएगा. पंचायत स्तर पर गठित सभी लोकल कमिटियों को आगामी 28 जुलाई पुनर्गठित करने का लक्ष्य लिया गया है. आइसा, ऐपवा, इंसाफ मंच, स्कीम वर्कर, किसान महासभा, खेग्रामस आदि संगठनों के राज्य सम्मेलन आने वाले दिनों में होने वाले हैं. इन संगठनों की सदस्यता दुगुनी करने का भी लक्ष्य लिया गया है. 25 जून को पटना में इंसाफ मंच का राज्य सम्मेलन होगा, जिसमें व्यापक पैमाने पर दलित-मुस्लिम समुदाय की भागीदारी का आह्वान किया गया है.