चौकिये नहीं: कौआकोल में पहाड़ बोलता भी है!

नवादा

नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) जी हां! चौकिये नहीं,जिले के उग्रवाद प्रभावित कौआकोल प्रखंड के तरौन गांव स्थित पहाड़ बोलता भी है। इस इलाके की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है।
जंगलों के बीच मनोरम वादियों में स्थित इस पहाड़ के नीचे एक स्थान से कुछ बोलने के बाद वही आवाज लौटकर वापस आती है। इसीलिए ग्रामीण इसे बोलता पहाड़ कहते हैं। आसपास के जिलों के लोग अक्सर यहां की इस खूबी को देखने के लिए पहुंचते हैं। तरौन में जंगली इलाके के बीच बड़े-बड़े काले चट्टानों से यह पहाड़ सरीखा बना है। चट्टान एक दूसरे पर इस कदर रखे हुए हैं, मानों हाथ लगाओ तो गिर जाएं।

हालांकि, ये चट्टान कभी गिरते नहीं हैं। पहाड़ी पर दुर्लभ जंगली जड़ी-बूटी भी मिलती है। आयुर्वेद के जानकार लोग यहां से जड़ी-बूटी ले जाते हैं। यह इलाका प्रकृति की गोद में है, जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। पर्यटन की संभावना को ध्यान में रखते हुए प्रशासनिक स्तर पर भी इसका सौदर्यीकरण कराया गया है। पहाड़ तक पहुंचने वाले मार्ग को सुदृढ़ किया गया है।
साल के पहले दिन लोग इस स्थान पर पिकनिक का भी आनंद लेते हैं। आसपास के गांवों के लोग यहां घूमने के लिए पहुंचते रहते हैं।

पहाड़ के नीचे एक प्वाईंट है, जहां से बोलने पर आवाज लौटकर आती है। उस प्वाईंट को प्रशासन की तरफ से व्यवस्थित किया गया है। बाहर से कोई शख्स कौआकोल पहुंचता है तो बोलता पहाड़ को देखना नहीं भूलता। कौआकोल के प्रखंड विकास पदाधिकारी सुनील कुमार चांद यहां कराए गए विकास कार्यों की बाबत जानकारी देते हैं। कहते हैं कि बोलता पहाड़ तक पहुंचने के लिए रास्ता का निर्माण कराया गया है। यहां सौंदर्यीकरण से संबंधित कार्य के लिए वन विभाग से अनुमति मांगी गई है। जल्‍द ही कार्य आरंभ हो जाएगा।