DESK : बिहार वासियों के लिए एक खुश खबरी है अब यहां हवा में तैयार किए जायेंगे आलू। नालंदा के चंडी में बिहार का पहला सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल बनकर तैयार हो गया है. इजरायली तकनीक से यहां सब्जी फसलों के उन्नत पौधे तैयार किए जाते हैं. पिछले माह से यहां की हाइड्रोपोनिक यूनिट में बिना मिट्टी के पत्तेदार सब्जियों की खेती प्रारंभ हो चुकी है. अब सितंबर से बिना मिट्टी के हवा में आलू के बीज भी तैयार होने लगेंगे. रोग रहित आलू के बीज सूबे के किसानों को अनुदान पर दिया जाएगा. अच्छी बात यह कि इस तकनीक से तैयार आलू बीज में बीमारियां नहीं लगती हैं. पारंपरिक खेती के मुकाबले इस तकनीक से तैयार बीज से 10 गुना अधिक उपज मिलती है.
एरोपॉनिक यूनिट में फाउंडेशन के बाद ग्रीन हाउस बना दिया गया है. मशीनें लग चुकी हैं. फर्श और पाइप लाइन का काम चल रहा है. खास बात यह है कि एरोपॉनिक यूनिट में जब आलू के बीज मटर दाने के हो जाएंगे तो इसे नालंदा के अस्थावां व राजगीर, छपरा के जलालपुर और सीवान की नर्सरियों (मिट्टी) में लगाया जाएगा. बीज का आकार थोड़ा बड़ा होने पर किसानों को दिया जाएगा. किसानों को यहां बुलाकर एरोपॉनिक तकनीक के बारे में जानकारी भी दी जाएगी. हाइड्रोपोनिक और एरोपॉनिक यूनिट के निर्माण पर करीब 5 करोड़ खर्च किया गया है. हवा में खेती को एरोपॉनिक्स तकनीक कहते हैं. जो खासकर आलू की है. यह मिट्टी रहित विधि है, जहां पौधे उगाए जाते हैं.
जानिए क्या है यह तकनीक
इस तकनीक में पौधों के लिए पानी में मिश्रित पोषक तत्वों के घोल को समय-समय पर बॉक्स में डाला जाता है. ताकि, पौधे पूरी तरह से विकसित हो सकें. हवा में लटकती जड़ें पोषक तत्वों को अवशोषित करती हैं. पारंपरिक खेती की तुलना में एरोपॉनिक विधि से आलू की खेती करने पर 10 गुना अधिक पैदावार होती है. हाइड्रोपोनिक यूनिट में 12 हजार पौधे लगाने की क्षमता है. अभी करीब 50 फीसद क्षेत्र में पांच वेरायटी के पौधे लगाए गए हैं. इनमें केले (पत्तेदार गोभी), कोरिएंडर (धनिया), लेट्यूस (सलाद के पत्ते), बेसिल (तुलसी) व पाकचोयी (पत्तेदार सब्जी) के पौधे हैं. गर्मी थोड़ी कम होगी तो अन्य वेरायटी के पौधे भी लगेंगे.
लगाए गए पौधे 35 से 40 दिनों में तैयार हो जाएंगे. इसके बाद उपज मिलने लगेगी. इस विधि में मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती है. पानी में बालू या कंकड़ डालकर पौधे उगाए जाते हैं. बिहार की सबसे बड़ी एरोपॉनिक यूनिट चंडी में लग रही है. यहां तैयार आलू के उन्नत बीज किसानों को अनुदान पर दिए जाएंगे. इससे पैदावार अधिक मिलेगी. किसानों को खेती में आधुनिक तकनीक को अपनाने के लिए प्रेरित भी किया जाएगा.