घोड़ासहन अंचल में चल रहा है दाखिल खारिज का गोरखधंधा, अतिक्रमणकारियों की कट रही चांदी

पश्चिमी चंपारण
  • पूर्व में निगरानी के हत्थे चढ़ चुका है अंचल का राजस्व कर्मचारी

सिकरहना/ संजीव जायसवाल। अनुमंडल अन्तर्गत घोड़ासहन बाजार में अतिक्रमणकारियों की अधिकारियों की शह पर चांदी कट रही है। वहीं अंचल कार्यालय में दाखिल खारिज करने का भी गोरखधंधा वर्षों से जारी है। हालांकि दाखिल खारिज में रिश्वत देने से परेशान लोगों की शिकायत पर पूर्व में एक हल्का कर्मचारी निगरानी के हत्थे भी चढ़ा। लेकिन मामले में अधिकारी ऊंची रसूख के कारण बच निकले। वहीं इधर फिर भूमि के दाखिल खारिज जो अस्वीकृत हैं वे स्वीकृत और स्वीकृत को अस्वीकृत किए जा रहे हैं। साथ ही बेलगानी भूमि का भी रशीद काट दिया जाना चर्चाओं में है। इस संबंध में अंचलाधिकारी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए गलत बताया।

इधर एक बार फिर घोड़ासहन के लोगों ने छठ घाट समेत विभिन्न सार्वजनिक स्थलों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए अंचलाधिकारी को आवेदन देकर कारवाई करने का अनुरोध किया है। आवेदन बता है कि विगत कुछ वर्षों से छठ घाट से लेकर मदरसा चौक होते हुए श्रीपुर रोड तक सड़क की जमीन को कतिपय लोगों ने अतिक्रमित कर लिया है। जिससे आम लोगों को आने-जाने में परेशानियों के साथ -साथ जाम की समस्याओं को भी झेलना पड़ रहा है। इसके साथ हीं बारिश एवं नाला के पानी निकास को लेकर समस्या उत्पन्न हो गई है। वहीं अतिक्रमण को लेकर पूर्व में चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रंजीत अग्रवाल ने आवेदन दिया था। मगर उस दिशा में कोई कारवाई न करके उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

जबकि यह भारत एवं नेपाल सीमा का मुख्य सड़क है। आम लोगों में यह चर्चा का विषय है कि अंचल कार्यालय जनहित की समस्याओं से ज्यादा व्यस्तता भू-माफियाओं द्वारा कब्जा किये गये गैरमजरूआ जमीनों में रहती है। जहां कथित दलालों का शिकार आम लोगों को होना पड़ता है। नियमानुसार जो जमीन रोक सूची में उसे भी दाखिल खारिज कर दिया जा रहा है। यहां तक कि वार्ड नं-11 में स्थित सार्वजनिक कुंए की जमीन को भू-माफियाओं के चक्कर में गलत जमाबंदी के आधार पर खरीदें गए जमीन का दाखिल खारिज अस्वीकृत के बाद किस परिस्थिति में स्वीकृत कर दिया गया यह जांच का विषय है। वहीं रेलवे, मठ-मंदिर के जमीन पर दाखिल खारिज पर लगी रोक के बावजूद दाखिल खारिज की स्वीकृति दी गई है।

इस संबंध में अवर निबंधक, छौड़ादानो नवनीत कुमार ने घोड़ासहन के अंचलाधिकारी को पत्र के माध्यम से कई बार घोड़ासहन के जमीन पर लगे रोक की सूची की मांग की गई। बावजूद उस पत्र को नजरंदाज सूची उपलब्ध नहीं कराई गई। रोक लगे भूमि की सूची निबंधन कार्यालय को भेज देने पर जमीन की निबंधन ही नहीं हो पायेगा। कई बार इनके विरुद्ध वरीय पदाधिकारी को लोगों ने शिकायत भी की। मगर ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होती रही। अगर इन मामलों में उच्च स्तरीय जांच हो तो रहस्य से पर्दा उठ जायेगा। वहीं आवेदन देने वालों में घोड़ासहन उत्तरी के मुखिया संजीव कुमार, चैम्बर ऑफ कॉमर्स के संतोष कुमार, समाजसेवी व पूर्व मुखिया प्रत्याशी आकाश कुमार चौधरी उर्फ पिंटु पेंटल सहित दर्जनों लोग शामिल हैं।