पटना : दलित-गरीबों को उजाड़े जाने के खिलाफ राज्यभर में प्रदर्शन, बिहार में नहीं चलने देंगे बुल्डोजर : धीरेंद्र झा

पटना

उजड़े परिवारों को पुनर्वासित करे,तमाम बसावटों के सर्वे के आधार पर नया वास आवास कानून बनाए सरकार…

वास आवास को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दे केंद्र सरकार,प्रधानमंत्री आवास योजना में कटौती नहीं बल्कि राशि 5लाख हो_खेग्रामस

स्टेट डेस्क/पटना : अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) और मनरेगा मजदूर सभा के राज्यव्यापी आह्वान के तहत मंगलवार को 50 से ज्यादा अनुमंडल मुख्यालयों पर दलित-गरीबों को उजाड़ने की नोटिस दिए जाने के खिलाफ अक्रोशपूर्ण प्रदर्शन हुआ! मसौढ़ी, पाली, बाढ़, गया, टेकारी, हिलसा, नवादा, बलिया, समस्तीपुर, दरभंगा, बिरौल, मुजफ्फरपुर, बेनीपट्टी, सिवान, जहानाबाद, डेहरी आदि अनुमंडलों पर हजारों दलित-गरीबों ने ऐलान किया कि अगर सरकार नीतिगत निर्णय नहीं लेती है, तो ग्रामीण मजदूरों की 1 अगस्त को राज्यव्यापी हड़ताल होगी।

दलित-गरीबों का अक्रोशपूर्ण घेराव होगा। विदित हो कि राज्य में तकरीबन 1 करोड़ की आबादी जहां दशकों से रह रही है,उनके पास उसका मालिकाना हक नही है। उन्हें उजाड़ा जा रहा है या उजाड़ने की नोटिस दी गई है। मसौढ़ी और पाली में सभा को संबोधित करते हुए खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव धीरेंद्र झा ने कहा कि बिहार में बुल्डोजर चलने नहीं दिया जाएगा।

भाकपा माले विधायकों की ओर से सरकार से मांग की गई है कि सरकार ऐसी तमाम बसावटों का सर्वे कर नया वास आवास कानून लाए और कोर्ट में हलफनामा दर्ज करे।सरकार की ओर आश्वासन दिया गया कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के किसी को नहीं उजाड़ा जायेगा, लेकिन इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। संगठन के राज्य के कार्यकारी सचिव शत्रुघ्न सहनी ने मुजफ्फरपुर में प्रदर्शन की अगुवाई करते हुए कहा कि गरीबों के वास आवास के अधिकार को लेकर राज्य व केंद्र सरकार के खिलाफ निर्णायक संघर्ष होगा। सभी को पक्का मकान 2022 तक देने का वादा करने वाली मोदी सरकार आवास योजनाओं में कटौती कर रही है।

दलित-गरीबों के आंदोलन के माध्यम से यह मांग उठाई गई कि प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि 5लाख की जाए।
खेग्रामस ने इस मौके पर ऐलान किया है कि अगर सरकार कोई लिखित आदेश जारी नहीं करती है तो दलित-गरीबों की ओर से 1 अगस्त को ग्रामीण मजदूर हड़ताल होगी।हजारों-हजार मजदूरों ने मोदी सरकार की मनरेगा मजदूरी को अस्वीकार कर दिया है क्योंकि यह गैर कानूनी है। केंद्र सरकार की अकुशल मजदूरों की जो न्यूनतम मजदूरी 429 रुपए है,वही मनरेगा मजदूरों की बेस मजदूरी होनी चाहिए।